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New Delhi, 8 नवंबर . सेहत को लेकर लापरवाही, जंक फूड, तनाव और बैठे रहने की आदत से अक्सर पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और पीठ दर्द बढ़ता है. ऐसे में योग एक प्राकृतिक उपचार साबित हो सकता है. उन्हीं में से एक है उत्तानमंडूकासन.
आयुष मंत्रालय की सलाह के मुताबिक रोजाना उत्तानमंडूकासन करने से शरीर मजबूत और मन शांत रहता है.
‘उत्तान’ शब्द का अर्थ है ऊपर की ओर खींचना और ‘मंडूक’ का अर्थ मेंढक होता है. उत्तानमंडूकासन की मुद्रा में शरीर सीधे तने हुए मेंढक के समान लगता है. इस आसन में सिर को कोहनियों से थामा जाता है ताकि सिर पीछे की ओर न जाए और शरीर एक सीध में रहे.
आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह आसन पीठ दर्द और ग्रीवा संबंधी तकलीफ को दूर करने में सहायक है. साथ ही, यह आसन उदर संबंधी अंगों की गति के लिए लाभदायक होता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता में वृद्धि करता है. सांस गहरी होती है और ऑक्सीजन लेवल सुधरता है.
इसके नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी लचीली बनी रहती है. साथ ही जांघें, कूल्हे और टखने मजबूत बने रहते हैं और पेट से संबंधित समस्याओं से भी निजात मिलती है. यह ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करता है, जिससे थकान दूर होती है.
सबसे खास बात ये है कि इसको करने से यह स्ट्रेस हार्मोन कम करता है, जिससे चिंता और डिप्रेशन में राहत मिलती है. इसको करने के लिए सबसे पहले आप वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर पीठ के पीछे ले जाएं.
अब दाहिने हाथ से बाएं पैर की उंगलियों को पकड़ें और बाएं हाथ से दाहिने पैर की उंगलियों को पकड़ें. इसके बाद अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करते हुए सामने की ओर देखें और बाद में सामान्य होते हुए सांस लेते रहें. इस स्थिति में 25 से 30 सेकंड तक रहें, फिर सामान्य स्थिति में धीरे-धीरे वापस आ जाएं.
यह आसन करने से कई लाभ मिल सकते हैं, लेकिन इसे करने के लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. गर्भवती महिलाएं, कमर ऑपरेशन वाले या जोड़ों में दर्द वाले लोग इसके लिए डॉक्टर से सलाह लें.
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एनएस/वीसी