नई दिल्ली,10 अक्टूबर . हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. कांग्रेस ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि ओबीसी समाज की अनदेखी पार्टी के लिए भारी पड़ गई.
अजय सिंह यादव ने कहा कि हरियाणा चुनाव में मिली करारी शिकस्त का कांग्रेस पार्टी को आंकलन और आत्ममंथन करना चाहिए. उन्होंने कहा, “कौन लोग थे जो पार्टी को लीड कर रहे थे, चुनाव प्रचार में कहां कमी रह गई, इसकी समीक्षा होनी चाहिए. किसी ओबीसी चेहरे को आगे क्यों नहीं रखा गया. मैं ओबीसी विभाग का राष्ट्रीय चेयरमैन हूं, मेरा फोटो नहीं लगाया गया. मैं जानना चाहता हूं कि क्या प्रदेश में पार्टी में तीन-चार ही नेता हैं.” उन्होंने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी के ओबीसी विभाग का कोई मतलब नहीं है.
उन्होंने कहा कि ईवीएम जहां 99 प्रतिशत चार्ज है, वहां कांग्रेस आ रही है. यह भी एक बहुत बड़ा नरेटिव है. इसके बारे में जांच होनी चाहिए.
कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस के टॉप लीडरशिप में ओबीसी का प्रतिनिधित्व नहीं है, ऐसे में ओबोसी आपको वोट नहीं देगा. आप उनको न टिकटों में तवज्जो देते हैं और न ही संगठन के समायोजन में प्रतिनिधित्व देते हैं. इसका नुकसान तो पार्टी को उठाना पड़ेगा. उन्होंने कहा, “मैं भी मुख्यमंत्री बनने का दावा कर सकता था, लेकिन मैं इस तरह की बातों को लेकर सामने नहीं आया. मुख्यमंत्री का चेहरा आलाकमान का विषय है. अगर नायब सिंह सैनी बन सकते हैं तो कांग्रेस पार्टी में भी कोई बन सकता है. यह कहना कि मैं सीएम बनने लायक हूं इससे कोई सीएम नहीं बन जाएगा.”
यादव ने कहा कि उन्हें हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों से चुनाव प्रचार के लिए बुलाया गया, साधन नहीं दिया गया. हेलीकॉप्टर सिर्फ चुनिंदा लोगों को दिए गए.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने से बातचीत करते हुए कहा कि जो लोग ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं. वह जम्मू-कश्मीर के मामले में चुप क्यों हैं. हिमाचल प्रदेश से लेकर, कर्नाटक, तेलंगाना पर चुप्पी क्यों है. कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक का एक ही लक्ष्य है कि देश पर चारों तरफ से आक्रमण कर देश को अस्थिर करना. इनका एक ही मकसद है कि संवैधानिक संस्थाओं को कटघरे में खड़ा करना. हरियाणा की जनता ने इनकी “टुकड़ों-टुकड़ों वाली सोच” को करारा जवाब दिया है. हरियाणा की जनता विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के साथ है.
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एकेएस/एकेजे