नई दिल्ली, 22 अक्टूबर . भारतीय बैडमिंटन संघ (बाई) के सचिव संजय मिश्रा ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2026 से प्रमुख खेलों को बाहर रखे जाने पर निराशा व्यक्त की है, और कहा है कि यह “भारत की बढ़ती खेल क्षमता को दरकिनार करने की साजिश” जैसा लगता है.
कॉमनवेल्थ गेम्स का 23वां संस्करण 23 जुलाई से 2 अगस्त 2026 तक ग्लासगो में आयोजित किया जाएगा, जिसमें केवल 10 खेल शामिल होंगे.
ग्लासगो 2026 की गेम्स लिस्ट बर्मिंघम 2022 की तुलना में काफी कमजोर है. इसमें हॉकी, क्रिकेट, बैडमिंटन, कुश्ती, टेबल टेनिस, स्क्वैश को शामिल नहीं किया गया है. जबकि शूटिंग, जिसे बर्मिंघम 2022 से भी हटा दिया गया था, वह अभी भी इन खेलों से बाहर है.
बाई सचिव ने एक बयान में कहा, “यह चौंकाने वाला है और भारतीय खेलों के लिए बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि हटाए गए खेलों के कारण लगभग 40 पदक खतरे में हैं. यह सिर्फ खेल और खिलाड़ियों का नुकसान नहीं है; यह इस क्षेत्र में भारत की बढ़ती खेल क्षमता को दरकिनार करने की साजिश है.”
बैडमिंटन में भारत ने इन खेलों के इतिहास में 10 स्वर्ण, 8 रजत और 13 कांस्य सहित 31 पदक जीते हैं. उल्लेखनीय है कि भारत को 2026 के संस्करण में पुरुष और महिला एकल के साथ-साथ पुरुष युगल में गत विजेता के रूप में प्रवेश करना था.
उन्होंने कहा, “भारतीय बैडमिंटन संघ पूरी तरह से विरोध में है और राष्ट्रमंडल और बीडब्ल्यूएफ के सभी संबंधित अधिकारियों के साथ-साथ देश में सरकार के उच्चतम स्तर पर भारतीय खेलों के भविष्य की वकालत करने के लिए संपर्क करेगा.”
प्रमुख खेलों को बाहर करना 2026 में भारत की पदक उम्मीदों के लिए एक बड़ा झटका है. निशानेबाजी और कुश्ती राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए सबसे बड़े पदक जीतने वाले खेल रहे हैं.
फील्ड हॉकी को बाहर करने का मतलब यह भी है कि यह खेल 1998 में राष्ट्रमंडल खेलों में अपनी शुरुआत के बाद पहली बार बाहर रहेगा.
पिछले खेलों में भारत ने 22 स्वर्ण सहित 61 पदक जीते. कुश्ती (12), वेटलिफ्टिंग (10), एथलेटिक्स (8), मुक्केबाजी और टेबल टेनिस (प्रत्येक 7) ने कुल मिलाकर सबसे अधिक योगदान दिया.
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