![]()
देहरादून, 1 नवंबर . उत्तराखंड की देवभूमि में इगास पर्व, जिसे ‘बूढ़ी दीपावली’ भी कहा जाता है, धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह पर्व राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति, परंपराओं और एकजुटता का प्रतीक है. Chief Minister पुष्कर सिंह धामी, BJP MP अनिल बलूनी और BJP MP त्रिवेदी सिंह गढ़वाल ने प्रदेशवासियों को इगास की शुभकामनाएं दीं.
Chief Minister पुष्कर सिंह धामी ने भी social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, “देवभूमि की आत्मा उसकी समृद्ध लोक संस्कृति और परंपराओं में बसती है. इगास–बूढ़ी दीपावली इसी गौरवशाली परम्परा का प्रतीक है, जो हमारे लोक जीवन की खुशियों, आस्था और एकजुटता का उत्सव है. इस लोक पर्व की महत्ता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हमारी Government द्वारा पिछले कुछ वर्षों से इसे सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाने की परम्परा प्रारम्भ की गई है.” उन्होंने इस कदम को लोक संस्कृति के संरक्षण और प्रचार की दिशा में महत्वपूर्ण बताया.
BJP MP अनिल बलूनी ने social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “हमारी संस्कृति, हमारी विरासत, हमारी पहचान: इगास. आज जनपद पौड़ी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में स्थानीय जनता के साथ पारंपरिक भैलो नृत्य करते हुए उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति और परंपराओं के प्रतीक लोकपर्व इगास को पूरे उल्लास, उमंग और आत्मीयता से मनाया.”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, “आज जनपद पौड़ी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक लोकपर्व इगास उत्सव में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. इस पर्व में स्थानीय नागरिकों, मातृशक्ति और युवाओं की जिस उत्साहपूर्ण, स्वेच्छा एवं आत्मीय भागीदारी को देखा, वह अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है.”
उन्होंने कहा, “यह देखकर हृदय आनंदित है कि अब इगास केवल एक पर्व नहीं रहा, बल्कि सम्पूर्ण उत्तराखंड का जनपर्व बन चुका है, जो हमें अपनी जड़ों, संस्कृति और सामूहिकता से जोड़ता है. ये अब हमारी पहचान बन चुकी है.”
इसी क्रम में BJP MP त्रिवेंद्र सिंह गढ़वाल ने भी एक्स पर पोस्ट किया, “गढ़वाल मंडल के हृदय-पौड़ी नगर के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में स्थानीय जनता के साथ पारंपरिक ‘इगास-बग्वाल’ पर्व उत्साह और उल्लास के साथ मनाया. लोकनृत्य, गीत-संगीत और ‘भैलो’ की मधुर गूंज से पूरा मैदान गूंज उठा.”
उनके अनुसार, यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम भी बनता है.
बता दें कि पौड़ी के रामलीला मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों स्थानीय लोग शामिल हुए. पारंपरिक वेशभूषा में सजे कलाकारों ने भैलो नृत्य, छोलिया और लोकगीतों की प्रस्तुति दी. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने एक स्वर में इस पर्व की खुशी में भाग लिया.
–
एससीएच/डीकेपी