साइबर अपराध से बचना है तो डर, लालच और आलस्य को त्यागें : विशेषज्ञ

Bhopal , 22 अगस्त . Madhya Pradesh में साइबर अपराध की बढ़ती वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए जागरुकता अभियान का सहारा लिया जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इन अपराधों से बचना है तो डर, लालच और आलस्य को त्यागना होगा. पत्र सूचना कार्यालय Bhopal , सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, India Government द्वारा साइबर सुरक्षा विषय पर आधारित ‘वार्तालाप’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी और शंकाओं का भी समाधान किया. विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी व्यक्ति के साइबर अपराध का शिकार बनने के पीछे मुख्य रूप से डर, लालच या आलस्य में से ही कोई एक वजह होती है. थोड़ी-सी जागरूकता और सतर्कता रखने से साइबर धोखाधड़ी से बचा जा सकता है.

विशेषज्ञों ने बताया कि साइबर अपराध के सबसे ज्यादा शिकार युवा और बुजुर्ग हाे रहे है. जब डिजिटल अरेस्ट जैसी बात आती है तो संबंधित डर जाता है, वहीं फोन पर लोकलुभावन जानकारी के जाल में फंसकर अपना ओटीपी आदि बता देता है. इसके साथ ही किसी विभाग का अधिकारी बनकर बिजली कनेक्शन कटने आदि जैसी सूचना को सच मानकर सहयोग कर देता है, अगर दफ्तर चले जाएं तो इस धोखे से बचा जा सकता है. आमजन अगर थोड़ी सतर्कता रखें तो इस फ्रॉड से बचा जा सकता है.

राज्य साइबर Police मुख्यालय की सहायक Police महानिरीक्षक सारिका शुक्ला ने कहा कि बदलते डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा एक गंभीर चुनौती है और समाज के हर वर्ग को इसके लिए जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है. साइबर कमांडो अनुज समाधिया ने डिजिटल अरेस्ट एवं साइबर स्लेवरी विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार के भ्रामक संदेश पर प्रतिक्रिया करने से पहले ठहर कर उसकी वास्तविकता का विचार करना आवश्यक है.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सीनियर फैकल्टी अरुण पोनप्पन ने बैंकिंग एवं वित्तीय लेन-देन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डाला. साइबर सुरक्षा प्रशिक्षक अतुल श्रीवास्तव ने social media पर प्रसारित होने वाली भ्रामक सूचनाओं एवं उनसे बचाव के तरीके बताए.

इस अवसर पर पीआईबी Bhopal के अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे ने कहा कि डिजिटल लेन-देन बढ़ने के साथ ही ऑनलाइन फ्रॉड भी चिंताजनक स्तर तक बढ़े हैं. वर्ष 2022 से 2024 के दौरान Bhopal के नागरिकों को लगभग 104 करोड़ रुपये का नुकसान ऑनलाइन ठगी के माध्यम से हुआ, जिसमें से केवल दो प्रतिशत राशि ही रिकवर हो पाई. साइबर अपराध से प्राप्त धनराशि का उपयोग आतंकी गतिविधियों में भी होता है, इसलिए इस विषय पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है.

एसएनपी/एएस