नई दिल्ली, 10 अक्टूबर . माइग्रेन एक बेहद पीड़ादायक सिरदर्द है. तनाव, हार्मोनल बदलाव, अनियमित नींद माइग्रेन का कारण हो सकते हैं. सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर बिभु आनंद ने इसके कारण, उपचार और बचाव को लेकर से बात की.
डॉक्टर बिभु आनंद बताते हैं कि माइग्रेन एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो आमतौर पर युवतियों में अधिक देखी जाती है. इस दौरान सिर के एक हिस्से में दर्द ज्यादा होता है, जैसे कि टेम्पोरल या फ्रंटल साइड में होता है. यह सिर दर्द पूरे सिर में नहीं होता. आखिर वजह क्या होती है?
माइग्रेन के ट्रिगर फैक्टर में शोर, अचानक तनाव या लगातार ध्वनि का संपर्क शामिल हो सकता है, जिससे मरीज को तेज सिरदर्द का सामना करना पड़ता है. हालात ऐसे होते हैं कि मरीज को संभालना तक मुश्किल हो जाता है. तो फिर कंट्रोल कैसे हो?
डॉक्टर आनंद कहते हैं, हम मरीजों को सलाह देते हैं कि अधिक तनाव न लें, वर्क लाइफ बैलेंस बनाए रखें, और उचित आहार लें. उन्होंने बताया कि कभी-कभी लोग अधिक कार्यभार के कारण ठीक से खाना-पीना छोड़ देते हैं या जरूरी नींद पूरी नहीं कर पाते हैं, जो माइग्रेन अटैक की आशंका बढ़ जाती है. इसके शुरुआती लक्षणों की बात करें तो मरीज आंखों के पीछे या सिर के एक हिस्से में दर्द की शिकायत करते हैं. ऐसे में अगर शुरुआती लक्षण दिखें तो क्या करें?
डॉक्टर बिभु आनंद बताते हैं कि माइग्रेन की पहचान के लिए सबसे पहले आंखों की जांच करनी होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य कारण नहीं है. इसके बाद इलेक्ट्रोलाइट संतुलन की जांच की जाती है. यदि सभी परीक्षण सामान्य होते हैं, तो यह माना जाता है कि मरीज को माइग्रेन का अटैक हुआ है. माइग्रेन के उपचार में दवाओं के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार भी बहुत महत्वपूर्ण है. डॉक्टर बिभु आनंद ने बताया कि माइग्रेन से राहत पाने के लिए ‘नेप्रोक्सन’ टेबलेट दी जा सकती है, और डोमपेरिडोन के कंबिनेशन की एक अन्य टैबलेट ‘नैक्सडोम’ भी उपयोगी होती है. लेकिन हां, अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही इसका उपयोग करें. इसके अलावा, पर्याप्त नींद लेना और नियमित व्यायाम करना भी आवश्यक है.
डॉक्टर ने यह भी बताया कि यदि जीवनशैली में सुधार नहीं किया गया, तो माइग्रेन के अटैक बढ़ सकते हैं. इसलिए, उचित जीवनशैली और तनाव प्रबंधन महत्वपूर्ण है, ताकि हम माइग्रेन को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकें. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से और स्क्रीन टाइम बढ़ाने से भी सिरदर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है. जब हम किसी काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो मस्तिष्क के अंदर सीएसएफ (सिरब्रोस्पाइनल तरल) का मार्ग प्रभावित होता है, जिससे सिरदर्द की संभावना बढ़ जाती है. यदि हम लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहते हैं, जैसे सुबह 8-9 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक, और केवल आधे घंटे या एक घंटे का ब्रेक लेते हैं, तो सीएसएफ का प्रवाह सही ढंग से नहीं हो पाता.
उन्होंने कहा कि जैसे मोबाइल फोन अधिक उपयोग से हैंग हो जाता है, उसी तरह यदि हम अपने शरीर का अधिक उपयोग करेंगे, तो इससे माइग्रेन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. तनाव भी एक दीमक की तरह होता है, जो हमारे शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है, जिससे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, माइग्रेन और टेंशन टाइप सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
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पीएसके/केआर