सूर्य नमस्कार नहीं कर रहे तो सूर्य की किरणों को भी न स्वीकारें : दुष्यंत कुमार गौतम

नई दिल्ली, 6 जुलाई . जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मुस्लिम छात्रों से सरस्वती वंदना और सूर्य नमस्कार न करने की अपील की है. इस पर भाजपा ने कहा है कि सौहार्द बिगाड़ने के लिए ऐसा प्रस्ताव पारित करना दुर्भाग्यपूर्ण है.

नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की प्रबंधन समिति के दो दिवसीय अधिवेशन के अंतिम दिन शुक्रवार (5 जुलाई) को सरस्वती वंदना, धार्मिक गीत और सूर्य नमस्कार न करने संबंधित प्रस्ताव पारित किया गया था. जिसमें अभिभावकों से आग्रह किया गया कि ऐसी किसी भी गतिविधि का हिस्सा अपने बच्चों का न बनने दें जो उनके मजहब के खिलाफ है.

जमीयत के इस प्रस्ताव ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है. सपा ने मुस्लिम संगठन की बात से इत्तेफाक रखा है तो भाजपा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम ने इस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “जमीयत ए उलेमा जो कर रही है वो दुर्भाग्यपूर्ण है, आप अपनी संस्कृति अपने मदरसों में पढ़ाएं…लेकिन देश, देश के हिसाब से चलता है. शिक्षा नीति के हिसाब से चलता है. कहां लिखा है कि आप सूर्य नमस्कार नहीं करेंगे, योग नहीं करेंगे? ये तो स्वस्थ शरीर के लिए होता है. सूर्य नमस्कार नहीं कर रहे तो सूर्य की किरणों को भी स्वीकार न करो.”

उन्होंने आगे कहा, “जो अलगाववाद वाली स्थिति पैदा कर रहे हैं, देश के लिए खतरनाक है. इन लोगों के एजेंडे कभी भी पूरे नहीं होने वाले हैं. हम विकसित और सफल भारत की ओर बढ़ रहे हैं. और जनता हमारा साथ दे रही है.”

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने भी इसे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बयान बताया. उन्होंने कहा, “कुछ लोग ऐसे है जो शैक्षिक परिसरों का सौहार्द बिगाड़ने के लिए ऐसे बयान देते हैं. जो पहले से रीति रिवाज और अनुशासन चल रहे हैं, उसी के अनुसार सब कुछ चलना चाहिए, इस पर राजनीति नही करनी चाहिए.”

वहीं, सपा प्रवक्ता फकरूल हसन चांद ने से बातचीत में कहा, “सबसे पहले आपको समझना होगा कि हर किसी को धार्मिक आजादी है, अगर किसी के धर्म में सूर्य नमस्कार नहीं है तो आप उसे बाध्य नहीं कर सकते. हालांकि, इसके लिए सभी धर्मों में अन्य विकल्प सुझाए गए हैं, अगर कोई वो नही कर सकता तो कोई और आसन कर सकता है.

उन्होंने आगे कहा- ऐसे मुद्दे पहले भी उठे हैं, लेकिन ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और समाजवादी पार्टी भी इस मुद्दे को राजनीतिक नही बनाना चाहती है.”

इस मुद्दे पर जमात-ए-इस्लामी-हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, “ये नया मसला नहीं है. पहले ऐसे मसले लाते रहे गए हैं. स्टेट गवर्नमेंट्स इस प्रकार के मसले उठाती रही हैं. हम हमेशा कहते रहे हैं कि किसी की आस्था के खिलाफ कोई चीज थोपना संविधान विरोधी है. संविधान अपनी आस्था और विश्वास और मजहब के प्रति अमल करने की आज़ादी देता है. योग के नाम पर सूर्य नमस्कार थोपना गलत है.”

लखनऊ ईदगाह के मौलाना सूफियान का बयान भी सामने आया है. जमीयत के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए उन्होंने कहा, “जमीयत ने कोई नई बात नहीं की है. हमारे संविधान ने अधिकार दिया है कि हम अपने मजहब में स्वतंत्र हैं. हम किसी और की इबादत न करें, ये हमारे मजहब ने बताया है. जो लोग करते हैं वो करें लेकिन मजहब ए इस्लाम की तरफ से लोगों से गुजारिश है कि वो अपने धर्म का पालन करें. अपने इस्लाम की इबादत करें जो जमीयत की अपील है वो सही है और हम इससे सहमत हैं.

केआर/