अगर आप भी अपने बच्चों को खेलने के लिए देते हैं मोबाइल फोन, तो हो जाएं सावधान

नई दिल्ली, 5 जनवरी . अब जमाना बदल गया है. पहले बच्चे खिलौने से खेला करते थे. लेकिन, अब मोबाइल से खेलते हैं. आपने कभी न कभी इस बात पर जरूर गौर किया होगा कि अगर आप किसी नन्हे बच्चे को मोबाइल दे दें, तो फिर वह उसे लौटाने का नाम नहीं लेता है. अगर आपके घर में भी कोई ऐसा बच्चा है, जिसे मोबाइल की लत लग गई है, तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है.

इसी बारे में ने सीके बिड़ला अस्पताल के नियोनेटोलॉजी और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रेया दुबे से विशेष बातचीत की.

उन्होंने कहा कि बिल्कुल इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि आज की तारीख में कई बच्चों को मोबाइल की लत लग गई है. अगर उन्हें मोबाइल न मिले, तो वे परेशान या यूं कहें कि बेचैन हो जाते हैं.

डॉ. दुबे ने बताया कि कि ऐसी परिस्थिति में माता-पिता को सावधान हो जाने की जरूरत है, क्योंकि चिकित्सकीय दृष्टिकोण से किसी भी बच्चे में एक से लेकर चार साल तक की उम्र काफी महत्वपूर्ण होती है. इस उम्र में बहुत ही तीव्र गति से मानसिक विकास होता है. हालांकि, इसके बाद भी होता है, लेकिन चिकित्सकीय दृष्टिकोण से एक से लेकर चार साल की उम्र मानसिक विकास के दृष्टिकोण से काफी अहम हो जाती है. ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि माता-पिता को अपने बच्चों को मोबाइल की लत से बचाकर रखना चाहिए.

डॉ दुबे बताती हैं कि आमतौर पर ऐसा देखने को मिला है कि जब इस तरह से बच्चे को मोबाइल की लत लग जाती है, तो वे सामाजिक दूरी बनाने लगते हैं. ऐसे बच्चे बड़े होकर समाज में अन्य लोगों से बात करने में हिचकते हैं और तकनीक के आदी हो जाते हैं, जिससे उन्हें आगे चलकर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, यह भी देखने को मिला है कि मोबाइल बेहद ही कम समय में लोगों को आउटपुट उपलब्ध करा देता है, तो ऐसे बच्चों में धैर्य रखने की क्षमता आगे चलकर समाप्त हो जाती है, क्योंकि वे बिना समय गंवाए परिणाम प्राप्त करने के आदी हो चुके होते हैं. ऐसे बच्चों की एकाग्रता में कमी भी देखने को मिलती है. इनकी कम्युनिकेशन क्षमता भी कमजोर हो सकती है.

अब सवाल यह है कि बच्चों को मोबाइल की लत से कैसे बचाएं? तो इसके लिए माता-पिता को पहल करनी होगी. माता-पिता को अपना मोबाइल फोन बच्चों से दूर रखना होगा. इसके साथ ही बच्चे के सोने से दो–तीन घंटे पहले मोबाइल फोन उससे दूर रखना चाहिए. आप अपने बच्चों को मोबाइल फोन की जगह किताबें पढ़ने की आदतें डलवा सकते हैं, उन्हें बाहर घूमने ले जा सकते हैं.

चिकित्सकीय दृष्टिकोण से बात करें, तो बच्चों को 14-15 साल से पहले स्मार्ट मोबाइल फोन देना ही नहीं चाहिए. यही नहीं, 16 साल से पहले बच्चों को व्हाट्सएप भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. उसी तरह से 13 साल से पहले बच्चों को गूगल या स्नैप चैट के इस्तेमाल से बचना चाहिए और यूट्यूब की बात करें, तो इसे चलाने की आदर्श उम्र चिकित्सकीय दृष्टिकोण से 18 साल मानी जाती है.

एसएचके/एएस