New Delhi, 28 अगस्त . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने Thursday को इस धारणा को खारिज कर दिया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लेकर फैसले लेता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा Government चलाने और अपने आंतरिक मामलों के संचालन में स्वतंत्र है.
New Delhi के विज्ञान भवन में ‘आरएसएस शताब्दी व्याख्यान श्रृंखला- संघ की यात्रा के 100 वर्ष: नए क्षितिज’ के तीसरे दिन बोलते हुए, भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि संघ सिर्फ सुझाव दे सकता है, लेकिन भाजपा के निर्णय लेने की प्रक्रिया में कभी हस्तक्षेप नहीं करता.
उन्होंने कहा कि सबकुछ संघ तय करता है, यह पूरी तरह से गलत बात है, यह हो नहीं सकता है. मैं 50 सालों से शाखा चला रहा हूं. अगर कोई शाखा के बारे में सलाह देता है तो मैं सुनूंगा, क्योंकि इसमें मैं एक्सपर्ट हूं. पार्टी देश चला रही है, वे इसमें एक्सपर्ट हैं, हम (आरएसएस) नहीं. आरएसएस सलाह तो दे सकता है, लेकिन अंतिम फैसला हमेशा भाजपा नेतृत्व का ही होता है.
अगले पार्टी अध्यक्ष के चयन समेत भाजपा के आंतरिक चुनावों में हो रही देरी पर मोहन भागवत ने चुटकी लेते हुए कहा कि अगर हम सब कुछ तय कर रहे होते, तो क्या इसमें इतना समय लगता? हम यह तय नहीं करते हैं.
Government के साथ संघ के व्यापक संबंधों पर भागवत ने कहा कि संगठन केंद्र और राज्य प्रशासन, दोनों के साथ अच्छा समन्वय स्थापित करता है, चाहे वह किसी भी Political दल का हो. हालांकि, उन्होंने संरचनात्मक चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि India की शासन प्रणाली, जो काफी हद तक अंग्रेजों से विरासत में मिली है, ‘में आंतरिक विरोधाभास’ हैं.
उन्होंने समझाया, “भले ही कुर्सी पर बैठा व्यक्ति हमारे लिए पूरी तरह से तैयार हो, उसे बाधाओं से जूझना पड़ता है. वह सफल हो भी सकता है और नहीं भी. हम उसे स्वतंत्रता देते हैं. कहीं कोई मतभेद नहीं है.”
भागवत ने संघर्ष के उदाहरणों का जिक्र करते हुए ट्रेड यूनियनों, लघु उद्योग निकायों और Government के बीच मतभेदों का हवाला दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे विरोधाभास स्वाभाविक हैं. उन्होंने कहा, “हमारे स्वयंसेवक ईमानदारी से काम करते हैं. हम प्रयोगों की अनुमति देते हैं और अगर परिणाम अच्छे होते हैं, तो सभी स्वीकार करते हैं.”
मोहन भागवत ने दोहराया कि संघ और भाजपा एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं, लेकिन मुद्दों पर मतभेद स्वाभाविक हैं. वैसे हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. हम सच्चाई को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें संघर्ष भी शामिल है, लेकिन इसका मतलब झगड़ा नहीं है.
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डीकेपी/जीकेटी