नई दिल्ली, 21 अप्रैल . रंग न सिर्फ हमारी जिंदगी में रंग ही नहीं भरते, बल्कि हमारी सोच पर भी छाप छोड़ते हैं. हर रंग की अपनी एक कहानी होती है, जो हमारे मूड को बदलने के लिए काफी है. जानकार मानते हैं कि पीला या नारंगी जैसे चटकीले रंग आंतरिक संतुष्टि और खुशी को दोगुना बढ़ा देते हैं, जिसका कारण डोपामाइन हार्मोन का बढ़ा लेवल होता है. रंग के कारण डोपामाइन लेवल बढ़ता है और फिर जिंदगी खुशरंग हो जाती है! आखिर ये डोपामाइन होता क्या है?
डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर और हार्मोन है, जो मस्तिष्क में काम करता है. यह एक रासायनिक संदेशवाहक है और तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संदेशों को संचारित करता है. हालांकि, इसका कोई रंग नहीं होता, लेकिन डोपामाइन पर रंग का प्रभाव पड़ता है.
वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि अलग-अलग रंग आपके दिमाग के विभिन्न हिस्सों को सक्रिय करते हैं.
आयुष निदेशालय दिल्ली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसएजी) और इहबास इकाई के प्रभारी डॉक्टर अशोक शर्मा के अनुसार, हमारी जिंदगी रेनबो की तरह है, हमारे भाव अलग-अलग होते हैं, कभी हम खुश होते हैं, तो कभी दुखी होते हैं… कभी जीवन उमंग भरा होता है तो बहुत रंग दिखते हैं और कभी दुखी होते हैं तो जिंदगी बेरंग हो जाती है. इसे लेकर रिसर्च भी खूब हुई है.
अब सवाल उठता है कि ये आखिर होता कैसे है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, रंग मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस को संदेश भेजते हैं, ये आपके मूड को बदलते हैं और इसमें हार्मोन रिलीज करने की ताकत होती है. मनोवैज्ञानिकों की मानें तो खासतौर पर पीला और नारंगी रंग खुशी से जुड़ा होता है. पीला रंग हंसमुख और संतोष को दर्शाता है.
एक अध्ययन में पाया गया कि खुश लोग पीले रंग को अपनी भावनाओं के लिए चुनते हैं, जबकि उदास लोग ग्रे रंग को चुनते हैं. पीले रंग में बना ‘स्माइली’ इस खुशी की सबसे बड़ी मिसाल है, जिसे 1960 में एक डिजाइनर ने कर्मचारियों का मूड बेहतर करने के लिए बनाया था.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, नीला रंग भी मूड को शांत करता है और सोशल मीडिया पर ‘डोपामाइन ड्रेसिंग’ का ट्रेंड भी इस बात को दर्शाता है कि कुछ लोग चटकीले रंग वाले कपड़े पहनकर खुशी महसूस करते हैं.
एक अध्ययन के मुताबिक, अगर मूड को सही रखना है तो इसमें सबसे अच्छी भूमिका सही रंग के कपड़े निभाते हैं. पीले और नारंगी रंग को अपनी ज़िंदगी में शामिल करके खुशियों को दोगुना किया जा सकता है.
2012 के हर्टफोर्डशायर विश्वविद्यालय के एक अध्ययन ने पुष्टि की कि कपड़े पहनने का तरीका हमारे मूड को सीधे प्रभावित करता है. यह कपड़ों की मनोवैज्ञानिक ताकत को दर्शाता है, जो खुशी और संतोष का सबब बनते हैं.
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एफएम/केआर