राजनीति में वैचारिक मतभेद लोकतंत्र का हिस्सा लेकिन अभद्र टिप्पणियां अस्वीकार्य: संजय निरुपम

Mumbai , 23 अगस्त . Prime Minister Narendra Modi पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता और बिहार के पूर्व उपChief Minister तेजस्वी यादव के खिलाफ दर्ज First Information Report ने देश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. इस मुद्दे पर शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने बड़ा बयान दिया है.

शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने तेजस्वी यादव की टिप्पणी को अनुचित ठहराते हुए कहा कि राजनीति में वैचारिक मतभेद लोकतंत्र का हिस्सा हैं, लेकिन मर्यादा तोड़कर अभद्र टिप्पणियां करना अस्वीकार्य हैं.

उन्होंने कहा, “विरोध करना हर नेता का अधिकार है, लेकिन किसी पर व्यक्तिगत लांछन लगाना गलत है. तेजस्वी यादव की टिप्पणी सभ्य समाज के लिए शोभनीय नहीं है. नेताओं को संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए और इस प्रकार की टिप्पणी से बचना चाहिए.”

संजय निरुपम ने सभी नेताओं से संयमित भाषा का उपयोग करने और ऐसी टिप्पणियों से बचने की अपील की. उन्होंने जोर देकर कहा कि राजनीति में मर्यादा और शालीनता बरकरार रखना आवश्यक है, ताकि जनता के बीच सही संदेश जाए.

वहीं, कर्नाटक में एक अलग घटनाक्रम ने सियासी हलचल मचा दी है. कर्नाटक के उपChief Minister और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने Thursday को राज्य विधानसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्रार्थना गाकर सभी को हैरान कर दिया. इस घटना ने Political गलियारों में तमाम तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया हैं.

इस पर टिप्पणी करते हुए शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा, “यदि कर्नाटक के उपChief Minister या कोई अन्य व्यक्ति आरएसएस का प्रार्थना गाता है, तो इसमें कोई पाप नहीं है. आरएसएस 1925 से देश में व्यक्तित्व निर्माण और राष्ट्रभक्ति की भावना जगाने का कार्य कर रहा है. यह एक लोकप्रिय और राष्ट्रवादी संगठन है.”

उन्होंने कहा कि आरएसएस को गलत ठहराने वाले ज्यादातर वामपंथी और उनके प्रभाव में कांग्रेस से जुड़े लोग हैं. संजय निरुपम ने जोर देकर कहा कि किसी विचारधारा से असहमति होना स्वाभाविक है, लेकिन उसे देशविरोधी करार देना उचित नहीं है.

एकेएस/केआर