![]()
New Delhi, 23 नवंबर . क्रिकेट के इतिहास में हर दशक की अपनी कहानी और इतिहास है. 80 का दशक महान ऑलराउंडर्स के गोल्डन पीरियड के तौर पर याद किया जाता है. तब India के पास कपिल देव, Pakistan के पास इमरान खान, न्यूजीलैंड के पास रिचर्ड हेडली और इंग्लैंड के पास थे- इयान बॉथम.
24 नवंबर 1955 में जन्में इयान बॉथम ने इंग्लैंड को एक ऐसी ऑलराउंडर विरासत दी है, जो आज भी बेन स्टोक्स के रूप में इंग्लिश क्रिकेट में जारी है. बॉथम दाएं हाथ के बल्लेबाज, तेज गेंदबाज और स्लिप में एक चुस्त फील्डर थे. वह दौर दिलेर हरफनमौला खिलाड़ियों के नाम था.
जब बॉथम का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आगमन हुआ, तब न पिच से राहत मिलती थी, न गेंदबाजों की रफ्तार से और बल्लेबाज के सिर पर हेलमेट भी देखने को नहीं मिलते थे. उस दौर में बॉथम की विशुद्ध प्रतिभा ने इंग्लिश क्रिकेट को एक पहचान दी.
बॉथम का रंगीन और दिलेर व्यक्तित्व, क्रिकेट के हर फन में माहिर होना और खेलने का अनथक जुनून, ये सब खेल की परिधि को मानों पुनर्निधारित कर रहे थे. बॉथम दुनिया के सबसे तेजी से 100 विकेट और 1000 रनों का डबल पूरा करने वाले खिलाड़ी थे. यहां तक कि उनके 383 टेस्ट विकेटों का रिकॉर्ड भी लंबे समय तक नहीं टूट पाया.
बॉथम ने बल्ले से भी 102 टेस्ट मैचों में 5,200 रन बनाए थे. तब उनका स्ट्राइक रेट करीब 61 का था, जो काफी तेज था. बॉथम की छाप इंग्लैंड क्रिकेट पर कुछ इस तरह से रही कि 1981 में क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित ट्रॉफी में से एक एशेज का नाम बॉथम एशेज कहा जाता है. क्रिकेट में ऐसे उदाहरण विरले हैं. उस सीरीज में बॉथम से ज्यादा रन केवल एलन बॉर्डर ने बनाए थे, लेकिन बॉर्डर का स्ट्राइक रेट जहां 37 का था, वहीं बॉथम ने 93 के स्ट्राइक रेट से बैटिंग की थी.
ऐसे ही गेंदबाजी में भी उन्होंने 34 विकेट लिए थे और उनका औसत उन गेंदबाजों में सबसे बेहतर था, जिन्होंने सीरीज में 25 से ज्यादा विकेट लिए थे. ये किसी भी सीरीज में किसी भी ऑलराउंडर का किया गया चरम प्रदर्शन था. इस सीरीज को इंग्लैंड ने 3-1 से जीता था.
अगर इंग्लिश क्रिकेट के बड़े हरफनमौला खिलाड़ियों पर नजर डालें तो सबका एक अंदाज रहा और हर स्टाइल का बेंचमार्क इयान बॉथम के रूप में स्थापित रहा. एंड्रयू फ्लिंटॉफ जब अपने करियर में पीक पर थे, तब-तब उनकी तुलना बॉथम से होती रही. बेन स्टोक्स में भी वही बात है. इन तीनों ही खिलाड़ियों की इमेज लार्जर दैन लाइफ और बहुत खास खिलाड़ियों की रही है. तीनों ही खिलाड़ियों में बहुत समानता भी थी. इन सभी के करियर का अंतिम पड़ाव चोटों से प्रभावित रहा.
बॉथम ने जब डेनिस लिली के रिकॉर्ड को तोड़ा, तब तक वे फिटनेस से जूझते हुए अपने करियर की संध्या पर पहुंच चुके थे. आखिरकार उन्होंने एक प्रोलिफिक ऑलराउंडर के तौर पर करियर का समापन किया. वे एक पूर्ण एथलीट थे. उन्हें फुटबॉल में भी बड़ा मजा आता था और दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में भी उनकी प्रतिभा कमतर नहीं थी.
बॉथम चैरिटी में भी सक्रिय रहे. वे सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि इंग्लैंड की एक प्रमुख स्पोर्ट्स फिगर रहे हैं. 2007 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि दी गई और वे इयान बॉथम से सर इयान बॉथम बन गए. क्रिकेट के मैदान में नाम कमाने के बाद उन्होंने बतौर कमेंटेटर भी छाप छोड़ी.
–
एएस/