नई दिल्ली, 24 फरवरी . एडटेक कंपनी बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन ने शनिवार को कंपनी से निकाले जाने की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि ऐसी अफवाहें बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई हैं और वह इस पद पर बने हुए हैं.
कर्मचारियों को भेजे गए और द्वारा प्राप्त एक ईमेल में बायजू रवींद्रन ने कहा कि प्रबंधन अपरिवर्तित है, बोर्ड वही है और राइट्स इश्यू को “जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है.”
उनकी प्रतिक्रिया प्रोसस एनवी और पीक एक्सवी पार्टनर्स जैसे बायजू के प्रमुख शेयरधारकों द्वारा असाधारण आम बैठक (ईजीएम) में उन्हें सीईओ पद से हटाने के लिए मतदान करने के एक दिन बाद आई, जिसमें कहा गया कि हितधारकों ने “मतदान के लिए रखे गए सभी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया.”
कर्मचारियों को ईमेल में, बायजू रवीन्द्रन ने कहा कि कंपनी में “कामकाज सामान्य था”.
उन्होंने लिखा, “जिस तरह आप सभी खिलाड़ियों की सहमति के बिना खेल के नियमों को बीच में नहीं बदल सकते, उसी तरह हम इन सख्त दिशानिर्देशों का पालन किए बिना हमारी कंपनी को चलाने के तरीके में बदलाव नहीं कर सकते. ईजीएम में कई जरूरी नियमों का उल्लंघन किया गया. इसका मतलब यह है कि उस बैठक में जो भी निर्णय लिया गया वह मायने नहीं रखता, क्योंकि वह स्थापित नियमों के अनुरूप नहीं था”
बायजू रवीन्द्रन ने दावा किया कि कानून और कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन द्वारा निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ईजीएम बुलाई गई थी.
बायजू के सीईओ ने कहा, “170 शेयरधारकों में से केवल 35 (लगभग 45 प्रतिशत शेयरधारिता का प्रतिनिधित्व) ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. यह अपने आप में इस अप्रासंगिक बैठक को मिले बहुत सीमित समर्थन को दर्शाता है.”
इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अंतरिम राहत दी थी जिसमें “स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बैठक के दौरान लिए गए किसी भी निर्णय को समाधान होने तक प्रभावी नहीं किया जाएगा”.
उन्होंने कहा कि इस “अनावश्यक नाटक” के बावजूद, प्रबंधन अपना पूरा ध्यान कंपनी के संचालन पर लगा रहा है.
नकदी संकट के बीच नियामकीय बाधाओं का सामना कर रही कंपनी से बायजू रवींद्रन को बाहर करने के लिए चुनिंदा निवेशकों ने ईजीएम बुलाई थी.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को आदेश दिया कि ईजीएम में पारित किया जाने वाला कोई भी प्रस्ताव 13 मार्च को बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका की अंतिम सुनवाई और निपटान तक मान्य नहीं होगा.
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एकेजे/