हजारीबाग, 11 अगस्त . झारखंड के हजारीबाग शहर से तीन किमी की दूरी पर स्थित बभनबै पहाड़ी पर Monday को बड़ा भूस्खलन हुआ है. पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा अचानक खिसककर नीचे आ गया. गनीमत यह कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ.
पहाड़ी की तराई में पांच सौ मीटर की दूरी पर बभनबै गांव स्थित है, जहां घनी आबादी है. हजारीबाग पठारी इलाका है, जहां अमूमन भू-स्खलन जैसी घटना नहीं होती. Monday को इस हादसे से गांव में लोग दहशत में आ गए. मूसलाधार बारिश के बीच पहाड़ी का बड़ा हिस्सा खिसककर नीचे आ गया और देखते ही देखते मिट्टी व पत्थरों का सैकड़ों टन मलबा पहाड़ी के नीचे आ गिरा.
अक्सर लोग पहाड़ी की तराई में खेती और पशुपालन करते हैं, लेकिन Monday को जिस वक्त हादसा हुआ, वहां कोई नहीं था. लोगों का कहना है कि ऐसा दृश्य उन्होंने केवल उत्तराखंड या हिमालयी राज्यों की खबरों और तस्वीरों में देखा था. हजारीबाग में पहाड़ खिसकने की घटना सुनना तो दूर, देखने की कल्पना भी किसी ने नहीं की थी. घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची.
मुफस्सिल थाना प्रभारी कुणाल किशोर ने एहतियातन प्रभावित इलाके में लोगों की आवाजाही रोकने का आदेश दिया. हादसे में कोई जनहानि या बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं हुआ, लेकिन प्रशासन मानता है कि खतरा पूरी तरह टला नहीं है. आपदा प्रबंधन दल अलर्ट पर है. कुछ साल पहले तक इस पहाड़ी पर पत्थरों का खनन होता रहा है.
हैरानी की बात यह है कि सरकार ने इस पहाड़ी के पास पत्थर खनन के लिए कुछ वर्षों की लीज तक स्वीकृत कर ली थी. भू-विशेषज्ञों के अनुसार, पत्थरों के खनन और लगातार बारिश ने पहाड़ की मिट्टी को ढीला कर दिया है, जिसकी वजह से इस तरह का हादसा सामने आया है. उनका कहना है कि यह घटना एक चेतावनी है—सिर्फ मौसम के लिए नहीं, बल्कि पहाड़ की देखभाल के लिए भी. ग्रामीण प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में इस तरह का खतरा टाला जा सके.
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एसएनसी/एएस