नई दिल्ली, 13 जून . भारत में महंगाई दर अगले छह महीनों में औसतन 2.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो आरबीआई के 3.5 प्रतिशत के पूर्वानुमान से कम है. यह जानकारी एचएसबीसी की शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई.
एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च के अनुसार, “हमें लगता है कि कम मुद्रास्फीति के आंकड़े पिछले साल के उच्च आधार के कारण हैं. जून के पहले 10 दिनों में सब्जियों की कीमतों में 0-13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.”
मानसून का मौसम जल्दी शुरू हो गया, लेकिन उसके बाद से बारिश धीमी हो गई है. इसके बावजूद, गर्मियों की फसल, खासकर चावल और दालों की बुवाई अच्छी चल रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल के मजबूत अनाज उत्पादन का मतलब है कि अन्न भंडार भरे हुए हैं और सरकार 2 साल की अवधि में अनाज की मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए स्टॉक को धीरे-धीरे जारी करने का विकल्प चुन सकती है.
हेडलाइन और कोर मुद्रास्फीति (सोने को छोड़कर) 2.8 प्रतिशत पर है, जो केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत लक्ष्य से काफी नीचे है, जबकि खाद्य कीमतों में गिरावट जारी है.
खाद्य कीमतें लगातार पांचवें महीने भी अपस्फीति में रहीं, जो मासिक आधार पर 0.2 प्रतिशत कम है. फलों, अंडे, मछली, मांस और चीनी की कीमतों में क्रमिक गति भी सौम्य थी.
सोने की ऊंची कीमतों ने कोर मुद्रास्फीति को ऊंचा रखा है.
सीपीआई बास्केट में सोने की हिस्सेदारी 1.1 प्रतिशत है. हाल के महीनों में पीली धातु की कीमत में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. सोने को छोड़कर, कोर मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 3.5 प्रतिशत रही.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “अगर सोने की कीमतें 2025 की दूसरी छमाही में गिरती हैं (जैसा कि हमारी कमोडिटी टीम का पूर्वानुमान है), तो कोर मुद्रास्फीति तेजी से गिर सकती है. इसके अलावा, 2025 की शुरुआत की तुलना में मजबूत रुपया और कमोडिटी की गिरती कीमतें संकेत देते हैं कि आने वाले महीनों में कोर मुद्रास्फीति कम रहने की संभावना है.”
एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा अनुमान है कि अगस्त और अक्टूबर की आरबीआई एमपीसी बैठकों में रेट कट को लेकर कुछ ठहराव आएगा. हालांकि, हमारा मानना है कि आरबीआई दिसंबर की बैठक में अंतिम 25 बीपीएस की कटौती करेगा, जिससे 2025 के अंत तक रेपो रेट 5.25 प्रतिशत हो जाएगी.”
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