ट्रूडो के बाद कार्नी के पीएम बनने पर कैसे होंगे भारत-कनाडा रिश्ते ?

ओटावा, 10 मार्च . कनाडा के पीएम पद की रेस जीतने वाले मार्क कार्नी के नेतृत्व में क्या ओटावा नई दिल्ली के साथ ज्यादा बेहतर संबंध कायम करेगा. यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि कार्नी चुनाव अभियान के दौरान भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों के ‘पुनर्निर्माण’ की बात जोर-शोर उठा चुके हैं.

कनाडा के केन्द्रीय बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैण्ड के पूर्व गवर्नर ने रविवार को लिबरल पार्टी के नेतृत्व की प्रतियोगिता में तीन प्रतिद्वंद्वियों को भारी मतों से हराया.

कार्नी ने अब तक किसी भी निर्वाचित पद पर कार्य नहीं किया है. वह आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे और अगले आम चुनाव में लिबरल पार्टी का नेतृत्व करेंगे.

पीएम जस्टिन ट्रूडो के बार-बार दिए गए ‘बेतुके बयान’ और आधारहीन आरोपों के चलते दोनों देशों के संबंध अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गए.

हालांकि अब ट्रूडो की जगह लेने वाले कार्नी ने संबंधों को सुधारने के संकेत देते रहे हैं. हाल ही में कैलगरी में एक बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है और भारत के साथ संबंधों को फिर से स्थापित करने के अवसर मौजूद हैं.”

कनाडा में भारत विरोधी खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियां भारत के लिए चिंता की वजह रही हैं. नई दिल्ली ने बार-बार ओटावा से भारत विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.

ओटावा के साथ नई दिल्ली के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में बिगड़ते चले गए है. भारत ने बार-बार कनाडा में उग्रवाद, हिंसा की संस्कृति और भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है और ओटावा से इन गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.

18 जून 2023 को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारा की पार्किंग में गोली मारकर हत्या कर दी गई.

निज्जर हत्याकांड नई दिल्ली और ओटावा के संबंधों में बड़े विवाद की वजह बन गया जब कनाडा के पीएम जस्टिसन ट्रूडो ने इस हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया. उन्होंने 18 सितंबर 2023 को संसद में कहा था, “पिछले कुछ हफ्तों से, कनाडाई सुरक्षा एजेंसियां ​​भारत सरकार के एजेंटों और निज्जर की हत्या के बीच संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोपों की सक्रिय रूप से जांच कर रही हैं.”

नई दिल्ली ने इस आरोप को मजबूती से खारिज कर दिया और कनाडा की तरफ से इसे लेकर कभी कोई सबूत सामने नहीं रखे गए.

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