वाराणसी, 2 अक्टूबर . नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो जाएगी. नवरात्रि के नौ दिनों में लोग मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा करके व्रत रखते हैं. इस दिन मां दुर्गा की पूजा कैसे करें?, मां के किन रूपों की कब अर्चना करें और अंत में कन्या पूजन कैसे करें, इस पर वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु पति त्रिपाठी ने विधि-विधान बताया.
उन्होंने सबसे पहले पूजा की विधि बताई. उन्होंने कहा, “हम भगवती को माला, पुष्प, धूप, दीप, और घी अर्पण करते हैं. विभिन्न दिनों में अलग-अलग पूजा विधियों का पालन करने और विभिन्न वस्त्र धारण करने की परंपरा कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है. यह किसी शास्त्रीय नियम के तहत नहीं है, बल्कि लोक परंपरा के अनुसार है. अलग-अलग विधियों से पूजा करने का विचार और विभिन्न सामग्री का भोग लगाने का निर्णय कुछ लोगों ने स्वेच्छा से लिया है. उपवास की बात करें तो यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है. उपवास के दौरान हमें अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. फल और जल ग्रहण करने का विधान होता है. कुछ लोग केवल जल का सेवन करते हैं, जबकि अन्य फल या सिंघाड़ा और आलू जैसी चीजें ग्रहण करते हैं. उपवास करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि यह हमारे शरीर की क्षमता के अनुसार हो.”
इसके बाद नवरात्रि के दौरान नौ देवियों के स्वरूपों के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा, “प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है. भगवती के पहले स्वरूप शैलपुत्री से लेकर अंतिम स्वरूप सिद्धिदात्री तक, हर देवी की उपासना का विधान अलग-अलग होता है. इन देवियों के पूजन में हम कलश पर उनका आह्वान करते हैं और विभिन्न पुष्पों, फलों और मिष्ठानों का भोग अर्पित करते हैं. कुछ लोग नवरात्रि में प्रतिदिन हवन भी करते हैं, जबकि कुछ केवल नवमी को हवन करते हैं. विजयादशमी का पर्व हिंदू शास्त्रों में महत्वपूर्ण माना जाता है. यह पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है, और भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था. विजयादशमी के दिन क्षत्रियों द्वारा विशेष रूप से भगवती और शस्त्रों की पूजा की जाती है. इस दिन शमी के वृक्ष की पूजा भी आवश्यक है और दीपक जलाने का विधान है. नवरात्रि के दौरान उपवास रखने वाले लोग भी ऊर्जावान रह सकते हैं. इसका कारण है कि उनका आहार और दिनचर्या संयमित होता है. देव कृपा से युक्त व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखता है. ऐसे व्यक्तियों में जल का केवल सेवन करने के बाद भी ऊर्जा बनी रहती है और चेहरे पर तेज होता है. नवमी और अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन विशेष महत्व रखता है. हम कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं. इन दिनों में कन्याओं को भोजन कराना और उनका पूजन करना चाहिए. कन्या पूजा का अलग विधान है, और इसका विशेष फल माना जाता है. इस प्रकार, नवरात्रि में देवी की उपासना और कन्या पूजा का महत्व हमारे लिए श्रद्धा और भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.”
उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दौरान हम नौ देवियों की पूजा करते हैं और प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है. भगवती के पहले स्वरूप शैलपुत्री से लेकर अंतिम स्वरूप सिद्धिदात्री तक, हर देवी की उपासना का विधान अलग-अलग होता है.”
उन्होंने आगे कहा, “नवमी और अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन विशेष महत्व रखता है. हम कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं. नवरात्रि में हमें कन्याओं को भोजन कराना और उनका पूजन करना चाहिए. कन्या पूजा का अलग विधान है, और इसका विशेष फल माना जाता है.”
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पीएसएम/एबीएम