नई दिल्ली, 3 अक्टूबर . इजरायल-हमास के बीच शुरू हुई जंग में हिजबुल्ला के बाद अब आधिकारिक रूप से ईरान की भी एंट्री हो गई है. ईरान ने हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से अटैक किया. हालांकि, इजरायली सेना ने अधिकतर मिसाइलों को आयरन डोम की मदद से नष्ट कर दिया. लेकिन, ईरान ने दावा किया कि उसकी अधिकतर मिसाइलें अपने लक्ष्य पर गिरीं.
इन सबके बीच आपको इजरायल और ईरान से जुड़े कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में भी बताते हैं. भले ही दोनों देश इस समय एक-दूसरे के खिलाफ हमले कर रहे हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब दोनों देशों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती थे.
दरअसल, ईरान और यहूदियों की दुश्मनी तो पुरानी है, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था, जब दोनों देशों के बीच बहुत अच्छे संबंध स्थापित हो गए थे. साल 1953 में ईरान में मोहम्मद रजा शाह का राज स्थापित हुआ. इस दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों ने भी नया मोड़ लिया. इसी के साथ ही ईरान और इजरायल के बीच आर्थिक, सैन्य व अन्य क्षेत्रों में आदान-प्रदान होने लगा. यही नहीं, ईरान से इजरायल को तेल दिया जाता था, जिसके बदले में ईरान को आधुनिक हथियार मिलते थे.
लेकिन, दोनों देशों के रिश्तों में गिरावट आई. साल था 1979, ईरान में इस्लामिक क्रांति की वजह से राजशाही का अंत हुआ और ईरान में सब कुछ बदल गया. इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान ने इजरायल से सारे संबंधों को तोड़ दिया और उनके बीच दुश्मनी पनपने लगी. ईरान एक इस्लामिक देश बन गया और अयातुल्ला अली खामेनेई ईरान के सर्वोच्च नेता बन गए.
इस्लामिक क्रांति का परिणाम यह हुआ कि ईरान में इस्लामी कानून (शरिया) लागू हो गया और ईरान ने अमेरिका तथा पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को सीमित कर दिया. यही नहीं, ईरान ने हमास का समर्थन करना भी शुरू कर दिया. यहीं से ही ईरान की उसकी दोस्ती दुश्मनी में तब्दील हो गई. चार दशक से अधिक समय के बाद भी दोनों देशों के बीच संबंध दुरुस्त नहीं हो पाए हैं.
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