हरतालिका तीज पर गर्भवती महिलाएं कैसे करें व्रत का पालन, जाने क्‍या कहते हैं ज्योतिष

नई दिल्ली, 4 सितंबर . वैसे तो सुहागन महिलाएं कई तरह के उपवास रखती हैं. मगर, भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होने वाली हरतालिका तीज का उपवास अपने आप में खास मायने रखता है.

इसमें सुहागन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. इस बार हरतालिका तीज 6 सितंबर को मनाई जाएगी.

इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजा-पाठ के साथ पूरे दिन उपवास रखती हैं, सोहल श्रृंगार करती हैं. इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है. उन्‍हें पूजा में 16 श्रृंगार अर्पित किया जाता है.

इस दिन महिलाएं खुद भी 16 श्रृंगार करके उपवास में अपने पति की सलामती की दुआ करती हैं. महिलाएं सिंदूर, मंगलसूत्र, बिछिया, पांव में महावर, नेल पेंट, काजल, लिपिस्टिक, वस्त्र, चूड़ी, मेहंदी, बिंदी, गजरा, पायल, अंगूठी, बाजूबंद, कमरबंद और हार पहनकर इस दिन को और खास बना देती हैं.

अब यह प्रश्न आता है कि गर्भवती महिलाएं इस व्रत का पालन कैसे कर सकती हैं. गर्भवती के लिए इस व्रत को रखने के कुछ खास नियम हैं. वैसे तो यह व्रत निर्जला रखा जाता है. मगर, क्‍या गर्भवती महिलाएं इसे रख सकती हैं?

इस बारे में ज्‍यादा जानकारी के लिए ने ज्योतिष और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ गायत्री शर्मा से बात की.

उन्‍होंने बताया, ”वैसे तो उपवास रखना एक श्रद्धा का विषय है, जिसे कोई भी रख सकता है. जहां बात गर्भवती महिलाओं की आती है तो वह डॉक्टर से परामर्श लेकर इस उपवास को रख सकती हैं. अगर प्रेग्नेंसी में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है तो महिलांए इस उपवास को बड़े ही आराम से कर सकती हैं.”

गायत्री शर्मा ने कहा, ”हरतालिका तीज के उपवास में पूरे दिन ही अन्‍न और जल का त्‍याग किया जाता है. अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में इस उपवास को रखने की ताकत नहीं है तो वह इसे नहीं करें. मगर, वह विधि-विधान के साथ इसका पूजन जरूर कर सकती हैं.”

उन्‍होंने आगे कहा कि अक्‍सर हमने कई महिलाओं को हरतालिका तीज का उपवास करते हुए देखा भी है, यह उनकी आस्‍था ही होती है जो इस उपवास को रखने में उन्‍हें शक्ति प्रदान करती है. यह एक ऐसा भाव है जो विश्‍वास के साथ जुड़ा है, क्‍योंकि यह उपवास प्‍यार का भी प्रतीक माना जाता है.

गायत्री शर्मा ने कहा, ”अगर कोई महिला इस उपवास को नहीं कर पाए तो इसमें कोई परेशानी वाली बात नहीं है, क्‍योंकि भगवान हमारे भोजन त्‍यागने से नहीं, वह तो सिर्फ हमारे भाव से ही प्रसन्‍न हो जाते हैं.”

एमकेएस/एबीएम