राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में कितना बदल गया भारतीय क्रिकेट टीम का कोचिंग दर्शन?

नई दिल्ली, 6 जुलाई . भारतीय क्रिकेट टीम के टी20 विश्व कप 2024 विजेता हेड कोच राहुल द्रविड़ कोचिंग को कुछ अलग नजरिए से देखते हैं. आम धारणा है कि एक कोच का काम खिलाड़ियों को कोचिंग देना और खेल में उनकी कमियों को सुधारना है ताकि टीम जीत की अग्रसर हो सके. लेकिन द्रविड़ का कोचिंग दर्शन काफी अलग है.

राहुल द्रविड़ वो कोच नहीं है जो कप्तान को बताएं कि उसको क्या करना है, बल्कि वे कप्तान को उसका नजरिया मैदान में उतारने के लिए काम करते हैं. यानी कोच इस आधार पर अपने काम को अंजाम दे कि वह टीम के खेल के प्रति कप्तान की सोच को कैसे सफल बनाता है. इसलिए द्रविड़ नतीजों के बारे में बात करना ज्यादा पसंद नहीं करते, जबकि दिन के अंत में एक कोच का आकलन इसी आधार पर होता है कि उसने कितने मैच जीतकर दिए.

द्रविड़ का कहना है कि कोचिंग का असली काम है वो चीजें विकसित करना जो आपको जीत की ओर लेकर जाएं. इनको पूरा किए बगैर अगर कोच सिर्फ जीत का ही पीछा करता रहेगा तो उससे कुछ हासिल नहीं होगा. इसलिए जरूरी है कि खिलाड़ियों के लिए अच्छा, सही, पेशेवर और सुरक्षित वातावरण बने जिसमें विफलता का डर नहीं हो.

राहुल द्रविड़ की बात इशारा करती है कि भारतीय क्रिकेट टीम का हेड कोच प्रबंधन का कार्य अधिक करता है. टीम इंडिया में कोचिंग महज खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करना भर नहीं है. ना ही कोच कप्तान पर हावी होता है, बल्कि वह कप्तान की सोच को अमलीजामा पहनाने के लिए काम करता है. राहुल द्रविड़ का ये कोचिंग दर्शन बताता है कि टीम इंडिया में अब वो दिन गए जब ग्रेग चैपल जैसी शख्सियत कप्तान और खिलाड़ियों पर हावी होने की कोशिश करती थी. अब कोच-कप्तान एक-दूसरे के विपरीत नहीं बल्कि पूरक बन चुके हैं. ये सिर्फ कोचिंग नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट की कार्यप्रणाली के व्यापक कायापलट को भी बताता है.

बता दें, टी20 विश्व कप 2024 के चैम्पियन बनने के बाद राहुल द्रविड़ का कोचिंग कार्यकाल पूरा हो चुका है. वहीं टीम के खिलाड़ियों में रोहित शर्मा, विराट कोहली और रवींद्र जडेजा ने टी20 अंतर्राष्ट्रीय से अपने संन्यास की घोषणा कर दी है.

एएस/आरआर