चेन्नई, 10 मार्च . देश के वरिष्ठ संगीतकारों में से एक इलैयाराजा पश्चिमी शास्त्रीय सिम्फनी प्रस्तुत करने वाले पहले भारतीय बन चुके हैं. उन्होंने कहा है कि वे खुद को एक साधारण इंसान मानते हैं और जब भी वे किसी प्रशंसक को उन्हें ‘गॉड ऑफ म्यूजिक’ कहते हुए सुनते हैं, तो उन्हें कैसा लगता है?
लंदन से लौटने पर मीडिया को संबोधित करते हुए इलैयाराजा ने राज्य सरकार और लोगों द्वारा दिए गए गर्मजोशी भरे स्वागत पर खुशी जताई. उन्होंने कॉन्सर्ट और इसे मिली प्रतिक्रिया के बारे में बात की.
प्रशंसकों के प्यार के बारे में उन्होंने कहा, ” मुझे लोग गॉड ऑफ म्यूजिक कहते हैं, लेकिन मैं एक साधारण इंसान की तरह काम करता हूं. मुझे अपने बारे में कोई विचार नहीं है. जब लोग मुझे ऐसा कहते हैं, तो मुझे लगता है, आपने भगवान की स्थिति को इलैयाराजा के स्तर तक कम कर दिया है. आप सभी के गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए धन्यवाद. आप सभी के मुस्कुराते चेहरे देखकर खुशी हुई.”
सिम्फनी और इसकी प्रस्तुति के बारे में इलैयाराजा ने कहा, “यह कोई साधारण बात नहीं है. आप संगीत लिख सकते हैं और इसे बजा सकते हैं. लेकिन क्या होगा अगर हर कोई इसे अलग-अलग तरीके से बजाए? कंडक्टर मिकेल टॉम्स ने सुनिश्चित किया कि हर नोट सही तरीके से बजाया जाए. मेरे पास केवल उनके रिहर्सल में शामिल होने का समय था.”
इलैयाराजा ने यह भी बताया कि कैसे दर्शकों और प्रशंसकों ने प्रत्येक मूवमेंट के बाद तालियां बजाई. सिम्फनी में चार मूवमेंट हैं. पश्चिमी संगीत में लोग तब तक ताली नहीं बजाते जब तक कि सभी चार मूवमेंट समाप्त न हो जाएं. लेकिन हमारे प्रशंसकों ने हर मूवमेंट के बाद तालियां बजाई.”
उन्होंने आगे कहा, “संगीतकार और कंडक्टर हैरान थे. कंडक्टर ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराया. मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ‘ऐसा ही होगा. इस तरह, हर मूवमेंट पर लोगों ने ताली बजाई और प्रशंसा की. वे संगीत सुनकर अपनी खुशी को रोक नहीं पाए. हमारे लोग अपनी प्रशंसा वहीं व्यक्त करना पसंद करते हैं.“
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एमटी/