हेपेटाइटिस बी, सी और ई के वायरस कितने खतरनाक? डॉ. अशोक कुमार ने बताया

New Delhi, 28 जुलाई . विश्व हेपेटाइटिस दिवस आज है. नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ. बारूक ब्लमबर्ग ने हेपेटाइटिस वायरस की खोज की थी, इसलिए उनकी जयंती पर विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है. इसे लेकर डॉ. (प्रो.) अशोक कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ. (प्रो.) अशोक कुमार ने कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण रक्त और यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है, जबकि हेपेटाइटिस ई फेकल ओरल रूट (ओरोफेकल रूट) से फैलता है.

उन्होंने कहा कि अगर हमारे भोजन और जल आपूर्ति की शुद्धता सही नहीं है तो हमें हेपेटाइटिस का खतरा हो सकता है. हमें अपनी जल आपूर्ति और खान-पान की आदतों के प्रति सावधान रहना चाहिए. हमें स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए और ऐसे स्रोतों से दूषित भोजन या पानी लेने से बचना चाहिए, जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, हेपेटाइटिस एक वायरस है, जिसके 5 स्ट्रेन्स हैं, ए, बी, सी, डी और ई. इनमें से भी विश्व में सबसे ज्यादा संक्रमण बी और सी से होता है.

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर 30 सेकेंड में हेपेटाइटिस से 1 शख्स दम तोड़ रहा है. 25.4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से जबकि 5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से ग्रसित हैं. हर साल इन बीमारियों के 20 लाख से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं. हेपेटाइटिस ई हर साल दुनिया में 2 करोड़ लोगों को संक्रमित कर रहा है.

अगर भारत की बात करें तो डब्ल्यूएचओ का एक आंकड़ा बेहद भयावह है. इसके मुताबिक भारत में 4 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से जबकि 60 लाख से 1 करोड़ 20 लाख क्रोनिक हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हैं. हेपेटाइटिस का सबसे महत्वपूर्ण कारण एचईवी (हेपेटाइटिस ई वायरस) है, हालांकि एचएवी (हेपेटाइटिस ए वायरस) बच्चों में अधिक आम है.

संगठन का मानना है कि भारत में वायरल हेपेटाइटिस एक गंभीर पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम के तौर पर उभर रहा है. यह प्रभावित व्यक्ति, परिवार और स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी आर्थिक और सामाजिक बोझ भी डाल रहा है.

डीकेपी/एबीएम