सीधी, 31 मई . मध्य प्रदेश के सीधी जिले में आदिवासियों के घरों को जमींदोज किए जाने के बाद प्रशासन ने उन्हें ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत नए आवास देने का फैसला किया है. लेकिन, आदिवासियों ने इस पर नाखुशी जाहिर की है.
आदिवासियों ने समाचार एजेंसी से बातचीत में बताया कि प्रशासन की तरफ से उन्हें दो रूम वाले मकान दिए जा रहे हैं और उनके परिवार में सदस्यों की संख्या ज्यादा है. ऐसी स्थिति में प्रशासन की तरफ से दिए जाने वाले आवास उनके लिए पर्याप्त नहीं रहेंगे.
आदिवासियों को ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत मकान दिए जाने के फैसले के बारे में मुख्य नगर पालिका परिषद (सीएमओ) मिनी अग्रवाल ने जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को प्रशासन की तरफ से जमीन देने के लिए चिन्हित कर ली गई है और आज पट्टा देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से की गई इस कार्रवाई की वजह से जो लोग भी बेघर हुए हैं, उन्हें अभी रैन बसेरे में रखा गया है, जिन्हें जमीन देने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है. उनके दस्तावेज जमा कराए जा रहे हैं. अभी कुल 15 लोगों के दस्तावेज जमा कर लिए गए हैं, जिन्हें आवास उपलब्ध कराए जाएंगे.
28 मई को जमीदारों की भूमि पर लंबे समय से रह रहे आदिवासियों के मकान पर सिविल कोर्ट के आदेश के बाद बुलडोजर की कार्रवाई की गई थी. इस कार्रवाई के तहत सभी आदिवासियों के मकान को ध्वस्त कर दिया गया था. यह आदिवासी मूल रूप से कोल समुदाय के हैं, जो लंबे समय से जमीदारों की जमीन पर रह रहे थे. इन जमीदारों के पूर्वजों ने आदिवासियों को रहने के लिए जमीन दी थी. इसके बाद यह सभी आदिवासी यहां पर रहने लगे. धीरे-धीरे यह पूरा इलाका एक कॉलोनी में तब्दील हो गया, जिस पर आपत्ति जताते हुए जमीदारों ने कोर्ट का रुख करके आदिवासियों को वहां से हटाने की मांग की. इसके बाद कोर्ट ने इन आदिवासियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई करते हुए उन्हें वहां से बेघर किया.
कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन की तरफ से की गई इस कार्रवाई पर कई आदिवासियों ने रोष जाहिर किया. आदिवासी सीता कोल बताती हैं कि वह यहां पर लंबे समय से रही थीं. उनके पूर्वज भी यहीं पर रहे. जमीदारों ने हमारे खिलाफ कोर्ट का रुख किया. इसके बाद हमें यहां से हटा दिया गया. अब हम बेघर हो चुके हैं. हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम क्या करें. हमारे बच्चे कहां जाएंगे.
साथ ही, जब उनसे ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत आवास दिए जाने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि हमारा परिवार बड़ा है और प्रशासन की तरफ से हमें जो मकान उपलब्ध कराया जाएगा, वह बड़ा नहीं है, हम वहां कैसे रहेंगे?
एक अन्य आदिवासी गुलाब कली कोल ने भी बुलडोजर कार्रवाई पर रोष जाहिर किया. कहा, जब इन जमींदारों को वोट चाहिए होता था, तब ये लोग हमारे पास आते थे और दावा करते थे कि हम लोग आपके साथ हैं. हम लोगों ने इनकी सेवा की और इनके लिए काम किए, लेकिन आज इन लोगों ने हमें ही बेघर कर दिया. अब हम कहां जाएं. हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है. प्रशासन को इसका जवाब देना चाहिए.
आदिवासी आशा कोल ने भी बुलडोजर कार्रवाई पर दुख जाहिर किया. उन्होंने कहा, “यह ठीक नहीं है. हमें बेघर कर दिया गया. हमारे पूर्वज भी यहीं रहे, लेकिन अब हमें यहां से हटा दिया गया, लेकिन अब हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम कहां जाएं.”
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एसएचके/एएस