New Delhi, 29 जुलाई . संसद में चल रहे मानसून सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने Tuesday को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विपक्ष की ओर से उठ रहे सवालों का जवाब दिया. गृह मंत्री के जवाब को लेकर पक्ष-विपक्ष के सांसदों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं.
BJP MP रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “गृह मंत्री का भाषण ऐतिहासिक था. मैं संसद में काफी दिनों से हूं. जिस प्रकार से उन्होंने ऐतिहासिक, Political और डिप्लोमैटिक रणनीतिक चीजों को रखा, सुरक्षा, कश्मीर और चीन को लेकर, उन्होंने देश के समक्ष अपनी बातें रखी. चीन और कश्मीर को लेकर कांग्रेस पार्टी के पूरे इतिहास को देश के सामने बताया. इसके साथ ही आतंकवाद की कितनी सख्त कार्रवाई हुई है, इसे भी बताया. इसके लिए उनका अभिनंदन करता हूं.”
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, “देश आज यह जानना चाहता है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल पर, जहां हजारों सैलानी मौजूद थे, वहां सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति क्यों थी? चार आतंकवादियों का घुसना, 26 निर्दोष लोगों की मौत और घंटों तक गोलीबारी चलना, इसकी जवाबदेही किसकी है. Government के जवाब शब्दों के भ्रमजाल से भरे लगते हैं. उन्हें लगता है कि इससे विपक्ष या देश संतुष्ट हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है. विपक्ष कोई नया सवाल नहीं उठा रहा. वही सवाल पूछ रहा है, जो देश की जनता पूछ रही है.”
उन्होंने कहा, “यह सच है कि आतंकवादी मारे गए हैं, और हम भारतीय सेना व सुरक्षा बलों के शौर्य को सलाम करते हैं. बर्फीली वादियों में अपनी जान जोखिम में डालकर वे हर पल देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं.”
उन्होंने केंद्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “लेकिन सवाल यह है कि आतंकवादियों को रोकने में चूक कहां हुई. क्या अमेरिका में बैठकर डोनाल्ड ट्रंप यह तय करेंगे कि India की सेना आगे बढ़ेगी या रुकेगी. इतिहास में निक्सन ने भी ऐसा ही सोचा था, जब उन्होंने सातवां बेड़ा भेजा था. लेकिन इंदिरा गांधी ने स्पष्ट कहा था कि India नहीं रुकेगा, चाहे सातवां बेड़ा हो या आठवां. तो क्या आज व्यापारिक दबाव के कारण India को रोका गया. क्या Prime Minister यह जवाब देंगे कि उन्होंने ट्रंप के कहने पर युद्धविराम नहीं किया.”
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “गृह मंत्री अमित शाह ने पहलगाम हमले में अपने मंत्रालय और खुफिया तंत्र की नाकामी के लिए पीड़ित विधवाओं से कभी माफी नहीं मांगी. जम्मू-कश्मीर के उपGovernor मनोज सिन्हा ने स्वीकार किया कि पहलगाम में सुरक्षा चूक हुई थी, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह में इतना साहस भी नहीं था कि वे इसे सुरक्षा चूक मान लें. डेढ़ घंटे के अपने भाषण में उन्होंने पंडित नेहरू और 1948 की बात की. उन्होंने इंदिरा गांधी और 1971 का जिक्र किया. उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह और राजीव गांधी का नाम लिया. लेकिन, सच्चाई यह है कि पहलगाम हमला पंडित नेहरू, डॉ. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी या राहुल गांधी की वजह से नहीं हुआ. यह आपकी नाकामी की वजह से हुआ.”
उन्होंने कहा, “आज गृह मंत्री को राजधर्म का पालन करते हुए अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए थी. लेकिन उनमें न तो पहलगाम की विधवाओं से खुफिया नाकामी के लिए माफी मांगने का नैतिक साहस था, न ही नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करने की हिम्मत. उन्होंने अपने भाषण में मेरा भी जिक्र किया और कहा कि मैं Pakistan गया था. गृह मंत्री अमित शाह अपनी नाकामियों को वायुसेना के शौर्य के पीछे नहीं छिपा सकते. उन्हें पहलगाम हमले की जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए थी, जो पिछले बीस वर्षों में भारतीय नागरिकों पर हुआ सबसे भयानक हमला है.”
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वीकेयू/एबीएम