New Delhi, 13 सितंबर . केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने Saturday को Prime Minister Narendra Modi के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू हुए ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ के पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन पर प्रसन्नता जताई है.
New Delhi में आयोजित इस सम्मेलन को भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करके बताया कि यह आयोजन पांडुलिपियों, भोजपत्रों, ताम्रपत्रों, शिलालेखों और अभिलेखों में संरक्षित भारत के ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक अनूठा प्रयास है.
‘ज्ञान भारतम् मिशन’ के तहत 483 करोड़ रुपए की लागत से देशभर में एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और विश्लेषण किया जा रहा है. यह मिशन भारत की अकल्पनीय ज्ञान विरासत को विश्व के सामने लाने का संकल्प लेता है. सम्मेलन में विश्व भर के विद्वानों, शोधार्थियों और युवाओं को एक मंच पर लाकर भारत की समृद्ध परंपराओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. यह आयोजन न केवल प्राचीन ज्ञान को पुनर्जनन देगा, बल्कि भारत को वैश्विक बौद्धिक नेतृत्व के केंद्र के रूप में स्थापित करेगा.
शान ने बताया कि पांडुलिपियों, भोजपत्रों, ताम्रपत्रों, शिलालेखों और अभिलेखों में संकलित भारत के ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान को नई पीढ़ी के सामने लाने के लिए पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन से शुरू हुए ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ के पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का New Delhi में आयोजन बहुत ही हर्ष का विषय है.
केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि यह मिशन भारत की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विरासत को सहेजने का एक अभूतपूर्व प्रयास है. पांडुलिपियों में संरक्षित आयुर्वेद, खगोलशास्त्र, गणित, दर्शन और साहित्य जैसे क्षेत्रों का ज्ञान नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा. सम्मेलन में डिजिटल तकनीक के उपयोग से इन पांडुलिपियों को संरक्षित करने और वैश्विक स्तर पर सुलभ बनाने पर भी चर्चा हुई.
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एससीएच/डीएससी