राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस : देवी राम से शुरू हुई भारत की हार्ट ट्रांसप्लांट यात्रा, 3 अगस्त को मिला ऐतिहासिक दर्जा

New Delhi, 2 जुलाई . 3 अगस्त भारतीय चिकित्सा इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. 1994 से पहले भारतीयों के लिए हृदय प्रत्यारोपण (हार्ट-ट्रांसप्लांट) का एकमात्र रास्ता विदेश जाना था. इस दिशा में India के डॉक्टरों ने प्रयास कई बार किए, लेकिन सफलता 3 अगस्त 1994 में मिली, जब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के डॉक्टरों ने एक 42 वर्षीय मरीज पर पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण किया था. 9 साल बाद इस सफलता को पहचान मिली, जब तत्कालीन Prime Minister अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस’ की घोषणा की.

देवी राम वह व्यक्ति थे, जिनका India में सबसे पहले सफलता पूर्वक हृदय प्रत्यारोपण किया गया. दिल्ली एम्स के वरिष्ठ कार्डियक सर्जन रहे पी. वेणुगोपाल के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने 3 अगस्त 1994 को देवी राम का हृदय प्रत्यारोपण किया. इस ऐतिहासिक उपलब्धि का रास्ता 7 जुलाई 1994 को साफ हुआ, जब मानव अंग प्रत्यारोपण विधेयक को President की मंजूरी मिली. इसी के बाद India में कानूनी रूप से अंग प्रत्यारोपण संभव हो सका. यह प्रक्रिया महज 59 मिनट में पूरी हुई थी और इसमें लगभग 20 डॉक्टरों की टीम शामिल थी. देवी राम के सफल हृदय प्रत्यारोपण ने अंगदान के महत्व को समझाया और दूसरों को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया.

3 अगस्त 2003 को पहली बार India में राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस Prime Minister आवास पर मनाया गया, जहां अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उस समय की केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुषमा स्वराज और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक एस. वेणुगोपाल उपस्थित थे. वहां वह व्यक्ति विशेष रूप से बुलाए गए थे, जिनका उस समय तक सफल हृदय प्रत्यारोपण हुआ था.

Prime Minister कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस की घोषणा करते वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, ‘मैं उस समय (साल 1994) विपक्ष का नेता था. अब मैं Prime Minister हूं. एक तरह से, मेरा भी इसी स्थान पर प्रत्यारोपण हुआ है. इस प्रत्यारोपण को चिकित्सा विज्ञान ने नहीं, बल्कि हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया ने प्रभावित किया है. इसे अंजाम देने वाले डॉक्टर नहीं, बल्कि India के आम लोग हैं. जनता कुछ ऐसा कर सकती है जो विशेषज्ञ डॉक्टर भी नहीं कर सकते. वे चाहें तो इस “प्रत्यारोपण” को उलट भी सकते हैं और नेताओं को उनके पदों से हटा भी सकते हैं.”

‘राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस’ के लिए प्रस्ताव डॉक्टर एस. वेणुगोपाल ने रखा था. Prime Minister कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अटल बिहारी वाजपेयी ने डॉक्टर एस. वेणुगोपाल के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया. उसी दिन डॉक्टर एस. वेणुगोपाल के अंग पुनर्प्राप्ति बैंकिंग संगठन (ओआरबीओ) प्रस्ताव को स्वीकार करके एक राष्ट्रीय सुविधा की घोषणा की गई थी.

साल 2003 के बाद से हर साल 3 अगस्त को राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस India में मनाया जाता है.

डीसीएच/जीकेटी