झारखंड का ऐतिहासिक राजभवन उद्यान आम लोगों के लिए खुला, पहले ही दिन उमड़ी भीड़

रांची, 6 फरवरी . रांची स्थित झारखंड के ऐतिहासिक राजभवन का उद्यान गुरुवार से 12 फरवरी तक आम लोगों के लिए खोला गया है. पहले ही दिन बड़ी संख्या में लोग खूबसूरत उद्यान का भ्रमण करने पहुंचे. इनमें स्कूली बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा रही. बेहद खूबसूरत उद्यान में वीडियो, फोटो और सेल्फी के लिए लोगों में होड़ मची रही.

सुरक्षा जांच के बाद राजभवन के गेट नंबर दो से लोगों को उद्यान में प्रवेश दिया गया. 52 एकड़ में फैले राजभवन के उद्यान में 400 किस्म के गुलाब, 20 हजार से ज्यादा मौसमी फूलों के पौधे और तरह-तरह के औषधीय एवं दुर्लभ पेड़ हैं.

उद्यान में ब्रिटिशकालीन टैंक, कृत्रिम ऑक्टोपस, कृत्रिम पहाड़, झरने, दीवारों पर सोहराई पेंटिंग, एमआईजी 21 विमान, विशालकाय चरखा सहित झारखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ी स्मृतियां लोगों को खूब आकर्षित करती हैं.

राजभवन उद्यान हर साल जनवरी-फरवरी के महीने में एक हफ्ते से लेकर दस दिनों तक जनता के लिए खुला रहता है. वर्ष 2024 में 2,70,530 लोग उद्यान देखने राजभवन पहुंचे थे. झारखंड का राजभवन ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1930 में बनना शुरू हुआ था, तब इंग्लैंड में जॉर्ज पंचम का शासन था और झारखंड एकीकृत बिहार का हिस्सा था.

रांची बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी. 1931 में करीब सात लाख की लागत से ये बनकर तैयार हो गया. इस भवन के आर्किटेक्ट सैडलो बलार्ड थे. यहां का उद्यान भी उसी वक्त स्थापित किया गया था, जिसे बाद में लगातार विकसित किया गया. राजभवन के उद्यान के कई हिस्से हैं. इनका नामकरण विभिन्न महापुरुषों और प्रख्यात विभूतियों के नाम पर किया गया है.

अशोक उद्यान का लॉन सबसे बड़ा है, जहां सैकड़ों किस्म के गुलाब हैं. पिछले वर्ष सितंबर में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजभवन के एक हिस्से में स्थित ‘मूर्ति उद्यान’ में युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के अलावा झारखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों गया मुंडा, जतरा टाना भगत, तेलंगा खरिया, नीलांबर-पीतांबर, सिदो-कान्हू, तिलका मांझी, दिवा-किसुन, वीर बुधु भगत के साथ-साथ परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का की प्रतिमाओं का अनावरण किया था.

इस उद्यान की परिकल्पना राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तब की थी, जब वे यहां की राज्यपाल थीं. उद्यान का एक हिस्सा बुद्ध उद्यान के रूप में जाना जाता है, जहां एक ग्रीन हाउस स्थापित है.

फूलो झानो गार्डन अपने संगीतमय फव्वारों के लिए प्रसिद्ध है. महात्मा गांधी औषधि उद्यान राजभवन के दक्षिण की ओर है, जहां औषधीय मसालों और जड़ी-बूटियों के कई पौधे हैं. रुद्राक्ष और कल्पतरू के पेड़, पीला बांस, इलायची समेत कई तरह के फलों के पौधे भी यहां मौजूद हैं. उद्यान के हरे-भरे लॉन, खूबसूरत कॉरिडोर, तरह-तरह के मौसमी फूलों की क्यारियां, फव्वारे, बेंच और लाइट्स लोगों को खूब आकर्षित करती हैं.

एसएनसी/एबीएम