हिमाचल : जयराम ठाकुर ने विधानसभा में उठाया आर्थिक संकट का मुद्दा

शिमला, 4 सितंबर . हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, जिसकी वजह से राज्य के कर्मचारी और पेंशनर परेशान हैं. वेतन और पेंशन में देरी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. इस मुद्दे ने विधानसभा में तूफान खड़ा कर दिया है. विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने मानसून सत्र के दौरान बुधवार को सदन में इस मुद्दे को उठाया.

जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक आपातकाल है, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इसे स्वीकार करने से मुकर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों का वेतन रोककर तीन करोड़ रुपये के कर्ज पर ब्याज की बचत की है, जो एक गंभीर मुद्दा है.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि 5 सितंबर को कर्मचारियों को उनका वेतन मिलेगा और 10 तारीख को पेंशन की राशि मिलेगी. उन्होंने यह भी माना कि मुफ्त की रेवड़ी की संस्कृति ठीक नहीं है और सरकार इसको खत्म करने के लिए काम कर रही है.

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में आर्थिक आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं. प्रदेश की इस स्थिति के लिए कांग्रेस सरकार और कांग्रेस की गारंटियां सीधे तौर पर जिम्मेदार है. उन्होंने मांग की, “सरकार इसे लेकर स्थिति स्पष्ट करे. सीएम कभी कहते हैं कि आर्थिक संकट है और कभी कहते हैं नहीं है. प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि क्या हो रहा है. कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है और केंद्र पर निर्भर हो गई है. आने वाले दिनों में स्थिति और विकराल हो जायेगी.”

दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में आर्थिक संकट की कोई स्थिति नहीं है, बल्कि “वित्तीय सुधार और अनुशासन के लिए” कर्मचारियों का वेतन रोका गया है. उन्होंने दावा किया कि इस कदम से सरकार ने कर्ज के ब्याज के तीन करोड़ रुपये बचाये हैं, जो साल के 36 करोड़ बनते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को कर्मचारियों के वेतन के लिए 1,200 करोड़ और पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपये चाहिए होते हैं, जिसके लिए कर्ज उठाना पड़ता है. इस महीने कर्मचारियों को वेतन 5 तारीख और पेंशन 10 तारीख को मिलेगी. अगले महीने से इसे 1 तारीख को देने की कोशिश करेंगे.

इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने यह भी माना है कि चुनावों के वक्त राजनीतिक दल सत्ता के लिए मुफ्त की रेवड़ियों की घोषणाएं करते हैं, जो कि राज्य के हित में नहीं होती हैं, जिससे इस तरह के आर्थिक हालात पैदा हो जाते हैं.

पीएसके/एकेजे