हिमाचल कैबिनेट बैठक : पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इंस्टीट्यूट का नाम बदलकर मनमोहन सिंह के नाम पर रखा

शिमला, 9 जनवरी . हिमाचल प्रदेश में गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्रियों ने हिस्सा लिया. बैठक में देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी गई. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में हिमाचल प्रदेश के पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इंस्टीट्यूट का नाम बदलकर “डॉ. मनमोहन सिंह हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन” कर दिया गया. इसके अलावा बैठक में कुल 43 मुद्दों पर चर्चा हुई. इसमें मनरेगा, बीपीएल और भूमि सुधार जैसे तमाम मुद्दों पर कैबिनेट ने फैसला लिया.

बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा,” कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. इसमें हिमाचल प्रदेश के पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इंस्टीट्यूट का नाम अब डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखने का फैसला क‍िया गया. अब इसे “डॉ. मनमोहन सिंह हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन” कहा जाएगा.”

उन्होंने बताया, “इसके अलावा, कुल 43 मुद्दों पर चर्चा हुई. इनमें से एक महत्वपूर्ण निर्णय बीपीएल सर्वे को फिर से कराने का था, जो अप्रैल में आयोजित किया जाएगा. बीपीएल सूची में शामिल होने के लिए किसी परिवार की अधिकतम वार्षिक आय के पैरामीटर में बदलाव होगा. अब बीपीएल आय को 1.5 लाख रुपये तक बढ़ाया जाएगा और इसमें उन परिवारों को भी शामिल किया जाएगा, जिनकी मुखिया महिलाएं हैं, जिन परिवारों में 50 प्रतिशत से ज्यादा विकलांगता है. मनरेगा के 100 दिन पूरे करने वाले मजदूरों और जिन्‍हें गंभीर बीमारियां जैसे भूलने की बीमारी और कैंसर पीड़तों को भी इसमें शाम‍िल क‍िया जाएगा. इसके अलावा बीपीएल योजना को लागू करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन करने का भी निर्णय लिया गया.”

उन्होंने कहा, “कैबिनेट ने भूमि सुधार और एनएमसी एक्ट के तहत हिमाचल प्रदेश में गैर-कृषकों को उद्योग लगाने या घर बनाने के लिए भूमि उपलब्ध कराने के मामले में रजिस्ट्री फीस में बदलाव किया है. अब इन लोगों को 12 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी देनी होगी, जबकि पहले यह शुल्क 6 और 8 प्रतिशत था. इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि केवल तीन प्रकार के पेड़ों को काटने की अनुमति होगी. ये हैं, सफेदा, पॉपुलर और बांस. बाकी सभी प्रकार के पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है.”

अंत में उन्होंने कहा, “गांव के द्वार कार्यक्रम को शुरू करने का निर्णय भी लिया गया और इसके लिए विस्तृत एसओपी को कैबिनेट में मंजूरी दी गई. इसके अलावा, 1910 से संबंधित एक प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार से स्वीकृति के लिए भेजने का प्रस्ताव किया गया है. पांच मेगावाट तक के ग्रीन हाइड्रोजन, बायोमास और पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट के लिए ऊर्जा निदेशक को शासनादेश जारी किया गया है, साथ ही ग्रीन एनर्जी डेवलपमेंट चार्ज और पंप स्टोरेज से जुड़े फैसले भी लिए गए.”

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