मुंबई, 13 मार्च . भारतीय शेयर बाजार में इन दिनों गिरावट देखी जा रही है. इसी के साथ ज्यादा रिटर्न देने वाले हाई-ग्रोथ शेयर निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक होते जा रहे हैं.
पूंजी निकासी और किसी बड़े नीतिगत सुधारों की कमी से बाजार पर अगली दो तिमाहियों में भी दबाव जारी रहने की संभावना है.
कैप्राइज इन्वेस्टमेंट- स्मॉलकेस मैनेजर की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही तक बदलाव की उम्मीद है, जिससे अर्निंग रि-रेटिंग साइकल के लिए मंच तैयार होगा.
कैप्राइज इन्वेस्टमेंट का मानना है कि मजबूत आय संभावना वाले हाई-ग्रोथ सेक्टर स्थिर होने लगेंगे.
सालाना आधार पर 25 प्रतिशत से अधिक वृद्धि वाले कई शेयर वर्तमान में 15-20 गुना के फॉरवर्ड मल्टिपल पर कारोबार कर रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे बाजार मजबूत होगा और निवेशक भविष्य की आय संभावनाओं का मूल्यांकन करना शुरू करेंगे, ये मूल्यांकन और भी आकर्षक होते जाएंगे.
बाजार में सुधार के लिए एक प्रमुख लिक्विडिटी इवेंट को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जाता है. हाल के वर्षों में लिक्विडिटी प्रचुर मात्रा में रही है. आने वाली तिमाहियों में इस मोर्चे पर चुनौतियां आ सकती हैं.
इसके बावजूद, कई हाई-ग्रोथ सेक्टर में मजबूत निवेश के अवसर मिलने की उम्मीद है.
विशेष रूप से, गैर-जरूरी उपभोग एक प्रमुख फोकस बना हुआ है, जिसमें वैल्यू रिटेल, आभूषण निर्माताओं और मध्यम से प्रीमियम होटल चेन के लिए मजबूत संभावनाएं हैं.
ट्रांसफार्मर और ट्रांसमिशन ईपीसी परियोजनाओं में बिजली क्षेत्र भी ध्यान आकर्षित कर रहा है.
कैप्राइज इन्वेस्टमेंट के पीयूष मेहता ने कहा, “लिक्विडिटी दबाव और अर्निंग नॉरमलाइजेशन के सामने निकट भविष्य में अस्थिरता जारी रह सकती है, लेकिन गैर-जरूरी उपभोग, रिन्यूएबल एनर्जी और विशिष्ट विनिर्माण जैसे क्षेत्र मजबूत दीर्घकालिक क्षमता प्रदान करते हैं.”
उन्होंने कहा कि इस अस्थिर माहौल से बाहर निकलने के लिए रणनीतिक निवेशक अर्निंग क्लैरिटी और वैल्यूएशन अनुशासन को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो वर्तमान परिस्थितियों के लिए एकदम सही है.
इसके अलावा, ‘मेक इन इंडिया’ पहल से विनिर्माण सेक्टर को दीर्घकालिक समर्थन मिलने की उम्मीद है.
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती मांग और स्थिरता की ओर बढ़ने से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और डेटा सेंटर भी निरंतर विकास के लिए तैयार हैं.
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एसकेटी/एकेजे