रांची, 13 जून . झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के मेसरा स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) में मारपीट में राजा पासवान नामक छात्र की मौत की घटना में पुलिस की धीमी जांच पर नाराजगी जताई है. घटना को रोकने में प्रबंधन की विफलता पर भी कोर्ट ने सवाल उठाया.
इस मामले में शुक्रवार को कोर्ट के आदेश पर राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता, बीआईटी मेसरा के कुलपति इंद्रनील मन्ना के अलावा डीन और रजिस्ट्रार अदालत में सशरीर उपस्थित हुए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने डीजीपी को निर्देश दिया कि शिक्षण संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार करें, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
कोर्ट ने कुलपति और संस्थान के अन्य अधिकारियों से जानना चाहा कि इस घटना में संस्थान की ओर से कोई जांच की गई या नहीं और इसका क्या नतीजा निकला? अगली सुनवाई के दौरान इस संबंध में संस्थान की ओर से रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 24 जून को निर्धारित की गई है.
बीआईटी मेसरा के पॉलिटेक्निक कॉलेज में 14 नवंबर, 2024 को ‘फ्रेशर्स डे’ के आयोजन के दौरान किसी बात को लेकर विवाद के बाद छात्रों के एक समूह ने डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र राजा कुमार पासवान (19 वर्ष) की पिटाई कर दी थी. इसमें उसे गंभीर चोटें आई थीं.
घटना की जानकारी मिलने पर रांची के कोकर में रहने वाले उसके परिजन मौके पर पहुंचे थे और इसके बाद उसे इलाज के लिए रिम्स में दाखिल कराया था, जहां दो दिन बाद उसकी मौत हो गई थी.
इस मामले में 17 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजा पासवान के शरीर पर 10 से अधिक गंभीर चोटों के निशान पाए गए थे. इससे संबंधित केस में सुनवाई के दौरान गुरुवार को कोर्ट को सूचित किया गया था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के नियम 7 का उल्लंघन करते हुए इस मामले की जांच पुलिस उप-निरीक्षक ने की, जबकि ऐसे मामलों में डीएसपी रैंक के अधिकारी द्वारा अनुसंधान किया जाना चाहिए था.
कोर्ट ने जांच में गंभीरता की कमी पर नाराजगी जताते हुए डीजीपी और संस्थान के कुलपति सहित अन्य को शुक्रवार को सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया था.
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एसएनसी/एबीएम/डीएससी