रांची, 3 अक्टूबर . झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि सीएम हेमंत सोरेन को पांच साल के कार्यकाल का हिसाब और जनता के सवालों का जवाब देना ही होगा.
मरांडी ने कहा कि उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार और लूट के रिकॉर्ड बने हैं. हमने समय-समय पर सरकार को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार और लूट के मामलों की ओर उनसे संज्ञान लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने अवैध पत्थर खनन से लेकर कोयला चोरी तक के गंभीर मामलों में कोई नोटिस नहीं लिया. भलाई इसी में है, अब तक जितनी भी गड़बड़ी हुई है, उसकी जांच कराएं, तभी राज्य की जनता को लगेगा कि वास्तव में वे ईमानदारी से काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में अगर राज्य को नहीं बचाएंगे तो खुद भी उसी आग में जल जाएंगे. उन्हें कोई बचा नहीं सकता है. हम उनसे पांच साल का हिसाब मांग रहे हैं, तो उन तमाम मुद्दों पर बात होगी, जिसे लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. साहिबगंज में अवैध तरीके से पत्थर का उत्खनन और अवैध ढुलाई होती रही. यहां तक कि पानी के जहाज से रात में भी ढुलाई की गई. सूचना थी कि यहां कभी भी दुर्घटना घट सकती है. इसे लेकर मैंने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा. मुख्यमंत्री ने पत्र का संज्ञान नहीं लिया. पत्र लिखने के करीब डेढ़ साल के बाद जहाज दुर्घटना घट गई. जांच हुई तो पता चला कि साहिबगंज में हजारों करोड़ों रुपया का पत्थर घोटाला हुआ है. अभी भी जांच चल रही है. कई लोगों के ऊपर केस है.
मरांडी ने कहा कि कोयला चोरी के मामले में सीबीआई जांच का झारखंड हाईकोर्ट का आदेश आया है. वह इसका स्वागत करते हैं. सीबीआई जांच से इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. सच तो यह है कि हेमंत सोरेन के कार्यकाल में कोयला चोरी ने सारे रिकॉर्ड को तोड़कर नया कीर्तिमान स्थापित किया. यह सब सरकार के संरक्षण में हुआ. धनबाद में दागी अफसरों को पोस्टिंग दी गई. कोयला चोरी को लेकर धनबाद में भाजपा की ओर से कई बार धरना-प्रदर्शन भी किया गया था.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अगर सचमुच पाक-साफ हैं तो कोयला चोरी में शामिल अफसर को सस्पेंड करें. उनके ऊपर एफआईआर दर्ज करें. नहीं तो यही माना जाएगा कि कोयले की लूट में हेमंत सोरेन की संलिप्तता है. सरकार के खिलाफ बोलने वालों पर हेमंत सरकार केस करती है. मेरे ऊपर भी कई केस हो चुके हैं. सरकार पुलिस प्रशासन को एक औजार की तरह उपयोग कर रही है. सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को हमेशा दबाती है.
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एसएनसी/एबीएम