पैतृक गांव नेमरा में पिता के श्राद्धकर्म में जुटे हेमंत सोरेन, निभा रहे संथाली परंपरा

रांची, 7 अगस्त . झारखंड के Chief Minister हेमंत सोरेन इन दिनों अपने पैतृक गांव नेमरा में हैं. वे अपने पिता और झारखंड आंदोलन के महानायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद श्राद्ध कर्म का एक-एक चरण वह संथाली परंपरा के अनुरूप निभा रहे हैं.

Thursday को उन्होंने श्राद्ध के ‘तीन कर्म’ से जुड़ी विधियों का निर्वहन किया. इसके पहले Wednesday की शाम उन्होंने गांव के बुजुर्गों और परिजनों संग बैठकर आगे के कर्मकांड तीन नहान, दस कर्म और अंत में होने वाले पिंडदान को लेकर चर्चा की थी. श्राद्ध का कर्मकांड 15-16 अगस्त को पूरा होगा. हेमंत सोरेन तब तक वहीं रहेंगे.

नेमरा झारखंड की राजधानी से लगभग 60 किलोमीटर दूर रामगढ़ जिले में पहाड़ियों और जंगलों से घिरा है. पांच अगस्त को इसी गांव में उन्होंने अपने पिता को मुखाग्नि दी थी. उस वक्त तब संथाली रिवाज के अनुसार उन्होंने वही वस्त्र धारण किया था, जिससे दिवंगत पिता का कफन बना था. तब से श्राद्ध संपन्न होने तक वह इसी वस्त्र में रहेंगे. पुरखों की परंपरा के अनुसार, मुखाग्नि देने वाला ‘मुखिया’ कहलाता है और उसे दस दिनों तक सीमित दायरे में ही रहकर समस्त विधि-विधान संपन्न करना होता है.

इस दौरान वह गांव की सीमा के बाहर नहीं जाता है. Chief Minister हेमंत सोरेन इन नियम-कायदों का पालन कर रहे हैं. इस बीच, राज्यपाल संतोष गंगवार भी Thursday को नेमरा पहुंचे. उन्होंने दिवंगत शिबू सोरेन की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और Chief Minister से मुलाकात की. राज्य का शासन फिलहाल दूर से चल रहा है. Chief Minister जरूरी निर्देश फोन पर दे रहे हैं. विभागों के वरिष्ठ अधिकारी आवश्यकतानुसार गांव पहुंचकर उनका मार्गदर्शन ले रहे हैं.

सोरेन ने अपने पिता को याद करते हुए सोशल मीडिया पर Thursday को एक भावुक पोस्ट भी साझा किया. उन्होंने लिखा, “नेमरा की यह क्रांतिकारी और वीर भूमि, दादाजी की शहादत और बाबा के अथाह संघर्ष की गवाह है. यहां के जंगलों, नालों-नदियों और पहाड़ों ने क्रांति की हर गूंज को सुना है- हर कदम, हर बलिदान को संजोकर रखा है. नेमरा की इस क्रांतिकारी भूमि को शत-शत नमन करता हूँ. वीर शहीद सोना सोबरन मांझी अमर रहें! झारखण्ड राज्य निर्माता वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें!”

एसएनसी/डीएससी