मुंबई, 23 नवंबर . भारत में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की भारी बिकवाली जल्द ही कम होने वाली है, क्योंकि लार्ज-कैप का वैल्यूएशन भी ऊंचे स्तरों से नीचे आ गए हैं. शेयर बाजार पर नजर रखने वालों ने शनिवार को कहा कि एफआईआई आईटी शेयरों में खरीदारी कर रहे हैं. इससे आईटी शेयरों में लचीलापन आ रहा है.
जानकारों का कहना है कि एफआईआई की बिकवाली के बावजूद बैंकिंग शेयरों में मजबूती बनी हुई है, जिसका मुख्य कारण घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) की खरीदारी है.
नवंबर में भी एफआईआई की ओर से लगातार बिकवाली जारी रही. अक्टूबर में एक्सचेंजों के जरिए 1,13,858 करोड़ रुपये की इक्विटी बेचने के बाद, एफआईआई ने इस महीने (22 नवंबर तक) एक्सचेंजों के जरिए 41,872 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है.
नवंबर में 15,339 करोड़ रुपये की खरीदारी के साथ प्राथमिक बाजारों के जरिए एफआईआई की खरीद का चलन भी जारी रहा. 1 अक्टूबर से 23 नवंबर की अवधि के दौरान एक्सचेंजों के माध्यम से कुल एफआईआई की बिक्री 1,55,730 करोड़ रुपये रही.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “यह उस तरह की बिक्री है, जो उस वर्ष होती है, जब एफआईआई बिक्री के मूड में होते हैं.”
एफआईआई द्वारा इस भारी बिक्री के पीछे तीन प्रमुख कारक हैं. पहला, ‘भारत बेचो, चीन खरीदो’ व्यापार और दूसरा, वित्त वर्ष 2025 की आय को लेकर चिंताएं. तीसरा कारक ‘ट्रंप व्यापार’ है.
इन तीनों में से ‘भारत बेचो, चीन खरीदो’ व्यापार समाप्त हो चुका है. ट्रंप व्यापार भी अपने अंतिम चरण में प्रतीत होता है क्योंकि अमेरिका में वैल्यूएशन उच्च स्तर पर पहुंच गया है.
नायर ने विस्तार से बताया, इसलिए, भारत में एफआईआई की बिक्री जल्द ही कम होने की संभावना है.
डोवेटेल कैपिटल के फंड्स बिजनेस के सीईओ रोहित अग्रवाल के अनुसार, “सेबी द्वारा हाल ही में किए गए उपाय बाजार की स्थिरता को बढ़ाते हैं और निवेशकों के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे डेरिवेटिव बाजार अधिक लचीला हो जाता है.”
उन्होंने कहा, “एनएसई और बीएसई पर साप्ताहिक एक्सपायरी को एक ही इंडेक्स तक सीमित करने से जीआईएफटी सिटी की ओर ट्रेडिंग वॉल्यूम में बदलाव को बढ़ावा मिल सकता है. एफपीआई के दृष्टिकोण से, यह उन लोगों के लिए एक आकर्षक अवसर बनाता है जो ट्रेडिंग रणनीतियों में लचीलापन चाहते हैं.”
सेंकेडरी बाजार में एफआईआई की कुछ बिक्री को प्राथमिक बाजार में स्विगी और हुंडई जैसे बड़े आईपीओ के जरिए खरीद द्वारा संतुलित किया जा रहा है. यह उम्मीद की जाती है कि कैलेंडर वर्ष के अंत के करीब आने पर एफआईआई अपनी बिक्री कम कर देंगे.
वाटरफील्ड एडवाइजर्स के सूचीबद्ध निवेश के वरिष्ठ निदेशक विपुल भोवार ने कहा, “ट्रंप प्रशासन की नीतियों के बारे में अधिक स्पष्टता होने के बाद नए आवंटन या महत्वपूर्ण निवेश होने की संभावना है.”
विशेषज्ञों ने कहा कि आगामी बड़े आईपीओ प्राथमिक बाजार में निवेश को थोड़े समय के लिए बढ़ा सकते हैं, लेकिन चल रही रुचि व्यापक आर्थिक स्थिरता और कॉर्पोरेट आय प्रदर्शन पर निर्भर करेगी.
–
एसकेटी/एबीएम