बजट में कैंसर की दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने के कदम का स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने किया स्‍वागत

नई दिल्ली, 23 जुलाई . कैंसर रोग विशेषज्ञों ने मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा कैंसर की तीन और दवाओं पर सीमा शुल्क में छूट दिए जाने के कदम की सराहना करते हुए इसे स्वागत योग्य बताया है.

जिन तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाई गई है, उनमें ट्रैस्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन (स्तन कैंसर के लिए), ओसिमर्टिनिब (ईजीएफआर म्यूटेशन के लिए फेफड़ों के कैंसर की दवा) और ड्यूरवलुमैब (फेफड़ों और पित्त नली के कैंसर के लिए) दवाएं शामिल हैं. डेरक्सटेकन दवा का उपयोग हर2 पॉजिटिव जीन वाले सभी कैंसर में किया जा सकता है.

इंडियन कैंसर सोसायटी की चेयरपर्सन ज्योत्सना गोविल ने से कहा कि इस छूट से देश में अनगिनत कैंसर रोगियों को राहत मिली है.

गोविल ने कहा, ”कैंसर की तीन दवाओं पर सीमा शुल्क में छूट एक महत्वपूर्ण कदम है. साथ ही डिजिटल बुनियादी ढांचे और नवाचारों में पहल और सार्वजनिक निवेश से टियर II और III और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में काफी सुधार होगा.”

सर गंगा राम अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. श्याम अग्रवाल ने कहा, ”सभी आयातित जीवन रक्षक दवाएं महंगी हैं और सीमा शुल्क में छूट एक स्वागत योग्य कदम है.”

उन्होंने कहा, “कैंसर की दवाएं बहुत महंगी और जीवन रक्षक हैं. मरीजों को लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता होती है. लागत को कम करने के लिए सभी कदम स्वागत योग्य हैं.”

मंगलवार को अपने सातवें बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों पर सीमा शुल्क में छूट का भी आह्वान किया.

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “मैं चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत मेडिकल एक्स-रे मशीनों में उपयोग के लिए बीसीडी (बेसिक कस्टम ड्यूटी), एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों में बदलाव का भी प्रस्ताव करती हूं ताकि उन्हें घरेलू क्षमता वृद्धि के साथ तालमेल बिठाया जा सके.”

फिक्की हेल्थ सर्विसेज और महाजन इमेजिंग एंड लैब्स के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. हर्ष महाजन ने कहा, ”कैंसर के इलाज के लिए तीन जीवन रक्षक दवाओं को छूट देना एक स्वागत योग्य कदम है. एक्स-रे ट्यूब और डिजिटल डिटेक्टरों के घटकों पर सीमा शुल्क में छूट से भारत में डिजिटल एक्स-रे मशीनों के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा.”

उन्होंने कहा, “नवाचार और कौशल विकास के लिए धन का आवंटन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में काम करने वालों की भी मदद करेगा.”

एमकेएस/