नई दिल्ली, 28 अगस्त . केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस के सत्ता में आने पर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 की वापसी को लेकर जमकर हमला बोला. उन्होंने बुधवार को न्यूज एजेंसी से खास बातचीत में कहा कि कांग्रेस खुलकर ये कहने की स्थिति में नहीं है कि 370 हटाने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि देशभर में इससे उनको नुकसान पहुंचेगा. घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि वह 370 को दोबारा बहाल करेंगे. उस बात का कांग्रेस घाटी में खंडन करे, यह उस स्थिति में भी नहीं है. वो अपने विरोधाभास में फंस चुके हैं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में 50-60 साल में जो राजनीति की है. उसके बारे में एक बड़ी प्रसिद्ध कहावत थी. ये श्रीनगर में एक बयान देते हैं, जबकि जम्मू में दूसरा और दिल्ली पहुंचकर तीसरा बयान देते थे. तीन-तीन बयान देकर जम्मू-कश्मीर के लोगों को ठगते भी रहे और अपनी राजनीति को भी आगे बढ़ाते रहे. पहले घाटी में दो-दो दिन के बाद अखबार आया करता था. लोगों को इस बात की भी जानकारी नहीं थी. मुझे लगता है कि समय आने पर ये सब बेनकाब होंगे. उस समय जो वरिष्ठ लोग थे जिन्होंने संविधान में आर्टिकल 370 को शामिल किया था, जवाहर लाल नेहरू ने स्वीकारा भी था. संविधान में लिखा भी गया कि यह अस्थायी व्यवस्था है, इन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया. ये बात अलग है कि यही लोग 370 को हटाने का साहस नहीं जुटा पाए, फिर पीएम मोदी ने इनका अधूरा काम पूरा करके दिखा दिया. आज ये लोग फंस गए हैं, जम्मू-कश्मीर में ये 370 को हटाने के पक्ष में हैं, जब ये पीर पंजाल का सुरंग पार करके कश्मीर घाटी जाते हैं तो फिर ये 370 को रखने के पक्ष में हैं. ये लोग अब खामोश हैं और मुझे लगता है कि इनको जनता को जवाब देना पड़ेगा.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ने पीएम मोदी के नेतृत्व में एक अलग तरह की राजनीतिक संस्कृति स्थापित करने का काम किया है. कल हमारी सभा डोडा क्षेत्र में थी. जहां पर हिंदू,मुसलमान एक साथ रहे हैं. आतंकवाद के दौर में भी उस वक्त दंगा फसाद नहीं हुआ. वहां पर जाकर भी कांग्रेस ने मजहब, धर्म के नाम पर समाज को बांटकर वोट बटोरने की कोशिश की है. और यह करते भी रहे और कामयाब भी रहे. हालांकि उस इलाके का कोई भी भला नहीं हुआ. पीएम मोदी ने उससे ऊपर उठकर जात-पात और धर्म की देखरेख की और ऐसी नीति अपनाई जिसकी जितनी आवश्यकता है उस तक उतनी पहुंचे. उदाहरण के तौर पर पीएम आवास योजना, मोहल्ले के कच्चे मकान पक्के मकान में तब्दील हो गए. जिन्होंने शायद गुजरे जमाने में भाजपा को वोट भी नहीं दिया हो. अब उनकी अंर्तआत्मा और जमीर उनसे कह रही है कि आप पुनर्विचार करो. ये नहीं पूछा कि घर हिंदू का है या मुसलमान, ब्राह्मण, ठाकुर का है. जिलाधिकारी के पास सूची थी. जिसकी आवश्यकता थी वो बनी. ये बात अब आम इंसान को समझ में आने लगी है. उसे लगता है कि उनके बच्चों का भविष्य अगर सुरक्षित है तो वह मोदी सरकार में सुरक्षित है, जहां मुझे भेदभाव नहीं मिलेगा. जो हक मेरा है वो मुझे मिलेगा.
उन्होंने राहुल गांधी श्रीनगर के फेमस रेस्टोरेंट में डिनर और लाल चौक पर आइसक्रीम का लुत्फ उठाने पर कहा कि पीएम मोदी ने उस तरह के हालात पैदा किए है कि राहुल गांधी जब चाहें लाल चौक पर जाकर आइसक्रीम खाएं. बिना सूचना के शाम को कबाब खाने जाते हैं. ये वातावरण पीएम मोदी ने स्थापित किया है. जब इनका शासन प्रदेश में और केंद्र में भी था तब यह थ्री लेयर सिक्योरिटी गार्ड के अंदर रहते थे. अपने कमरों से बाहर निकलने का साहस नहीं करते थे और न उस तरह का वातावरण था. इन्हें पीएम मोदी का शुक्रिया अदा करना चाहिए. उन्होंने इनको खुली हवा में सांस लेने का अवसर दिया है.
जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के भाजपा पर निशाना साधने पर कहा कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास कोई मुद्दा नहीं है और मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है. जहां तक आतंक का ताल्लुक है, आंकड़े ये प्रमाणित करते हैं कि पत्थरबाजी जीरो प्रतिशत यानी समाप्त हो गई. 2-2.5 करोड़ पर्यटक कश्मीर आते हैं जो कि सबसे बड़ा प्रमाण है. जो लोग अपने परिवार के साथ यहां छुट्टियां मनाने के लिए कभी आते हैं तो वो मीडिया के कहने पर नहीं आएंगे, सरकार के आश्वासन पर नहीं आएंगे या फिर भाजपा प्रवक्ताओं के कहने पर भी नहीं आएंगे. वो अपने सूत्रों में से किसी को फोन लगाएंगे, या फिर अपने दोस्त, दफ्तर में काम करने वाला कर्मचारी से पूछेंगे कि हमारा छुट्टियों का कार्यक्रम बन रहा है तो हमें कश्मीर आना चाहिए या नहीं. जब वो पूरी तरह से आश्वस्त हो जाएंगे तभी कश्मीर आएंगे. हमें लगता है कि हमारे लिए वही सबसे बड़ा प्रमाण है.
परिवारवाद को लेकर विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि हर राजनीति दल की अपनी समझ, परिस्थिति और वोट बैंक के जनाधार के अनुकूल रणनीति बनाने का प्रयास करती है. टिकटों का वितरण भी उसी प्रकार से होता है. लेकिन भाजपा ऐसी पार्टी है जो टिकट वितरण में भी लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करती है. जिस प्रकार से बाहर लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करती है, वैसे हीं अंदर भी. यहां एक पार्लियामेंट्री बोर्ड है, अलग-अलग संगठन और विंग से लेकर सबकी राय ली जाती है, आखिरकार केंडिडेट दिया जाता है, जबकि वहां पर भाई भतीजावाद है. पहले बाप फिर दादा, वहां पहले से तय है किसको टिकट देना है. मुझे लगता है कि भाजपा की प्रणाली और उसके काम करने की शैली के साथ तुलना करने की जरूरत नहीं है.
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एसके/