हरियाणा चुनाव 2024: कांग्रेस में बढ़ती बगावत, क्या बागी फिर से रोकेंगे सत्ता की राह?

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के करीब आते ही कांग्रेस पार्टी के भीतर बगावत के सुर तेज होते जा रहे हैं. पार्टी में गुटबाजी, असंतोष और बगावत की वजह से यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार भी कांग्रेस सत्ता से दूर रह जाएगी? हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान होगा और 8 अक्टूबर को मतगणना के बाद ही स्पष्ट होगा कि किस पार्टी को सत्ता मिलेगी. फिलहाल, कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, लेकिन इसके साथ ही पार्टी के भीतर आंतरिक कलह और बगावत की खबरें सामने आ रही हैं.

उम्मीदवारों की घोषणा के बाद कांग्रेस में बगावत

कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों में से 41 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. शेष 49 सीटों पर भी जल्द ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा होने वाली है. लेकिन 41 नामों की घोषणा के बाद पार्टी में असंतोष और इस्तीफों का सिलसिला शुरू हो गया है. कई नेताओं ने नाराजगी के चलते कांग्रेस छोड़कर अन्य पार्टियों का रुख कर लिया है. अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो कांग्रेस के लिए दस साल बाद हरियाणा की सत्ता में वापसी का सपना अधूरा रह सकता है.

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी और आंतरिक कलह

कांग्रेस के भीतर बगावत और असंतोष बढ़ते जा रहे हैं. कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कांग्रेस नेताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर की है, जिससे पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है. कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:

  • साढौरा विधानसभा सीट: रेणु बाला को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बृजपाल और पिंकी छप्पर ने पार्टी छोड़ दी है.
  • नीलोखेड़ी विधानसभा सीट: पूर्व मंत्री रामकुमार वाल्मीकि ने कांग्रेस के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
  • शाहबाद विधानसभा सीट: जेजेपी से आए रामकरण काला को टिकट मिलने पर प्रेम हिंगाखेड़ी नाराज हो गए हैं.
  • बरोदा विधानसभा सीट: इंदुराज सिंह नरवाल को टिकट मिलने से जीतेंद्र हुड्डा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना जताई है.
  • जुलाना विधानसभा सीट: विनेश फोगट की उम्मीदवारी के चलते परमेंद्र सिंह ढुल और उनके समर्थक नाराज हो गए हैं.

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि कांग्रेस के भीतर बगावत का माहौल है, और कई नेताओं ने पार्टी छोड़ने या निर्दलीय चुनाव लड़ने की धमकी दी है, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर हो रही है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनाम कुमारी शैलजा: कांग्रेस में आंतरिक सत्ता संघर्ष

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी और आंतरिक सत्ता संघर्ष की खबरें लंबे समय से आ रही हैं. खासकर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस महासचिव कुमारी शैलजा के बीच का टकराव अब खुलकर सामने आ चुका है. शैलजा कुमारी, जो कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा मानी जाती हैं, ने खुद को मुख्यमंत्री पद की दावेदार घोषित किया है, जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने समर्थकों को टिकट दिलाने और उम्मीदवारों के चयन में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

हाल ही में कांग्रेस ने 6 सितंबर को 32 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें हुड्डा समर्थकों का प्रभुत्व साफ दिखाई दिया. इस सूची में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 28 समर्थकों को टिकट मिला, जबकि कुमारी शैलजा गुट के सिर्फ 4 नेताओं को जगह दी गई. इससे शैलजा समर्थकों में नाराजगी बढ़ी है.

कुमारी शैलजा ने खुलकर हुड्डा पर निशाना साधा, एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि हुड्डा को अपने घर में यह तय करना चाहिए कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा. शैलजा ने खुद को मुख्यमंत्री पद का मजबूत दावेदार बताया और कहा कि जहां भी वह जाती हैं, लोग उन्हें “मुख्यमंत्री” कहकर बुलाते हैं. उनका यह बयान पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष को और बढ़ावा देता है.

हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति

हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती दिख रही है. साल 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जीत दर्ज की और सरकार बनाई. 2019 के चुनावों में भाजपा ने 40 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस को 31 सीटें मिलीं. भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन करके सरकार बनाई, जिसने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन की कोशिश की, लेकिन सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी. राहुल गांधी चाहते थे कि कांग्रेस और AAP साथ मिलकर चुनाव लड़ें, लेकिन कांग्रेस अब सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है. पार्टी को उम्मीद है कि वह अपने दम पर चुनावी सफलता हासिल कर सकेगी, लेकिन आंतरिक बगावत और गुटबाजी से कांग्रेस के लिए यह चुनौती बड़ी हो गई है.

बागियों और गुटबाजी से कांग्रेस को बड़ा नुकसान?

कांग्रेस के भीतर हो रही बगावत और गुटबाजी चुनावी नतीजों पर गंभीर असर डाल सकती है. जिन सीटों पर बगावत हो रही है, वहां कांग्रेस के उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना बनी हुई है. इससे कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लग सकती है, जो भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

कांग्रेस की सत्ता वापसी पर सवाल

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी का मौका है, लेकिन पार्टी के भीतर बढ़ती बगावत और गुटबाजी उसकी इस राह को कठिन बना रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच का सत्ता संघर्ष, उम्मीदवारों के चयन को लेकर हो रही खींचतान और कई नेताओं का नाराज होकर पार्टी छोड़ना, ये सब कांग्रेस की स्थिति को कमजोर कर रहे हैं.

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस इन चुनौतियों को पार करके सत्ता हासिल कर पाएगी, या फिर बागी और आंतरिक कलह पार्टी के लिए सत्ता की राह को मुश्किल बना देंगे.

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