नई दिल्ली, 22 अक्टूबर . भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने कॉमनवेल्थ गेम्स-2026 से हॉकी को बाहर करने के फैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और खुलासा किया कि उनकी टीम इस टूर्नामेंट में गोल्ड जीतने का लक्ष्य बना रही थी.
मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में मौजूदा विश्व चैंपियन जर्मनी के साथ द्विपक्षीय श्रृंखला से पहले भारतीय पुरुष टीम के मुख्य कोच क्रेग फुल्टन और हरमनप्रीत ने प्री मैच कॉन्फ्रेंस पर इस मुद्दे पर बात की.
फुल्टन ने कहा, “यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, हालांकि मुझे इसके बारे में सोचने के लिए समय चाहिए. फिलहाल हमारा फोकस इस मुकाबले पर है.”
हरमनप्रीत ने कहा, “मुझे अभी पता चला. मैं भी यही सोचता हूं. हम उस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य बना रहे थे, लेकिन अब यह खबर सुनकर दुख हुआ. यह हमारे हाथ में नहीं है और हम इसके बारे में अभी ज्यादा सोच भी नहीं सकते. फिलहाल जर्मनी के खिलाफ दो मैच हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं.”
भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में पुरुष हॉकी में कभी स्वर्ण पदक नहीं जीता है, हालांकि वह 2010, 2014 और 2022 में फाइनल में पहुंचा था और तीनों ही बार उसे ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा था.
महिला हॉकी टीम ने 2002 में मैनचेस्टर में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए एकमात्र स्वर्ण पदक जीता था. दिलचस्प बात यह है कि पुरुष टीम ने 2002 के संस्करण में भाग नहीं लिया था.
राष्ट्रमंडल खेलों का 23वां संस्करण 23 जुलाई से 2 अगस्त, 2026 तक ग्लासगो में आयोजित किया जाएगा. इसमें हॉकी, क्रिकेट, कुश्ती, टेबल टेनिस, बैडमिंटन और स्क्वैश को छोड़कर केवल 10 खेल शामिल होंगे.
शूटिंग, जिसे बर्मिंघम 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के कार्यक्रम से हटा दिया गया था और यह अभी भी बाहर है. 2014 में जब ग्लासगो ने राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की थी, तब कार्यक्रम में 19 खेल शामिल थे.
बर्मिंघम में जिन खेलों को गेम्स से बाहर रखा गया है, उनमें से अधिकांश में भारत ने कई पदक जीते.
भारत ने खेलों के पिछले संस्करण में 22 स्वर्ण सहित 61 पदक जीते थे. उनके कुल पदकों में से 12 कुश्ती, 7-7 मुक्केबाजी और टेबल टेनिस, बैडमिंटन में 6, हॉकी और स्क्वैश में 2-2, जबकि एक क्रिकेट से आया था. यह आंकड़े कुल पदकों के आधे से अधिक हैं यानि भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
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एएमजे/एबीएम