यरूशलम, 7 सितंबर . इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा है कि अगर हमास सरेंडर कर सभी बंधकों को रिहा करता है तो गाजा युद्ध खत्म कर दिया जाएगा. उन्होंने ये बातें यरूशलम में अपने डेनिश समकक्ष से वार्ता के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं.
उनका ये बयान हमास द्वारा अपनी पुरानी स्थिति को दोहराए जाने के एक दिन बाद आया, जिसमें उसने कहा था कि यदि इजरायल आक्रमण को रोकने और गाजा शहर से अपनी सेना वापस बुलाने पर सहमत हो जाए तो वह सभी बंधकों को रिहा कर देगा. सार ने फिलिस्तीन को आजाद देश के तौर पर मान्यता देने के फैसले का भी कड़ा विरोध किया.
सार ने कहा, “जो देश फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना का समर्थन करते हैं, वे उन तथ्यों की अनदेखी करते हैं जो दर्शाते हैं कि फिलिस्तीनी अथॉरिटी एक राज्य के लायक नहीं है. यहूदियों, इजरायल और आतंकवाद के खिलाफ उकसावे के मुद्दों से अलग हुए बिना, एक विश्वसनीय शांति प्रक्रिया का निर्माण संभव नहीं होगा.”
मानवीय सहायता सामग्री पहुंचाने को लेकर भी दोनों में विस्तार से बात हुई. हालांकि, विदेश मंत्री गिदोन सार और डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोके रासमुसेन के बीच कुछ मतभेद भी जाहिर हुए. दोनों ने मानवीय स्थिति को लेकर परस्पर विरोधी व्याख्याएं प्रस्तुत कीं और बीमारों को क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित करने के मुद्दे पर भिन्न मत रखा.
द टाइम्स ऑफ इजरायल के मुताबिक, गाजा में मानवीय स्थिति पर बात करते हुए, सार ने कहा, “जमीनी स्तर पर एक बड़ा बदलाव आया है.”
जुलाई में ब्रुसेल्स में सहायता प्रवाह बढ़ाने की आवश्यकता पर हुए समझौतों का जिक्र करते हुए बोले, “यह ऐसी बात नहीं है जो आपको पश्चिमी मीडिया में मिले, लेकिन तथ्य यह है कि हमने इस मामले पर ईयू (यूरोपीय संघ) के साथ जो भी वादा किया था उसे पूरा किया है.”
सार ने कहा, “हमने एक मानवीय मुद्दे पर सहयोग स्थापित करने के लिए एक संयुक्त टीम बनाने का फैसला किया ताकि यह देखा जा सके कि हम गाजा से लोगों की चिकित्सा निकासी के अलावा, अन्य मुद्दों पर भी मिलकर क्या कर सकते हैं.”
यूरोपीय यूनियन को निशाने पर लेते हुए उन्होंने आगे कहा, “आज यूरोप में इजरायल विरोधी जुनून की लहर है. यूरोप सुरक्षा और रणनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. मेरा मानना है कि यूरोप को इजरायल की उतनी ही जरूरत है जितनी इजरायल को यूरोप की. एक रचनात्मक बातचीत धमकियों और प्रतिबंधों पर आधारित नहीं हो सकती.”
हालांकि, रासमुसेन ने इस पर थोड़े अलग विचार रखे. डेनमार्क के विदेश मंत्री और पूर्व Prime Minister ने कहा, “अगर आप गाजा से पूर्वी यरुशलम में मरीजों को ले जाने की अनुमति देते, तो यह निश्चित रूप से बहुत आसान होता, लेकिन मैं आपको ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता, भले ही इससे कई लोगों की जान बच सकती है.”
रासमुसेन ने कहा कि जुलाई में यूरोपीय संघ के साथ बातचीत से सुधार हुआ है, लेकिन डेनमार्क अभी भी “गाजा में मानवीय आपदा को लेकर बेहद चिंतित है.”
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केआर/