इजरायल के खिलाफ लंबी लड़ाई के तैयार: हमास

गाजा, 8 अक्टूबर . हमास ने ऐलान किया कि वह गाजा पट्टी में इजरायल के खिलाफ लंबे संघर्ष के लिए तैयार है. फिलिस्तीनी ग्रुप की मिलिट्री विंग अल-कस्साम ब्रिगेड के प्रवक्ता अबू उबैदा ने एक वीडियो में मैसेज में कहा, “हम इजरायल के खिलाफ एक लंबे और दर्दनाक युद्ध को जारी रखने का फैसला लेते हैं.”

उबैदा ने यह बात सोमवार को ‘7 अक्टूबर हमले’ के एक साल पूरे होने पर कही. बता दें पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर बड़ा हमला किया था जिसमें करीब 1200 लोग मारे गए थे जबकि 250 से अधिक को बंधक बना लिया था. माना जाता है 100 से अधिक बंधक अभी भी गाजा में हैं.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उबैदा ने दावा किया, “लड़ाई के सभी मोर्चों पर और पूरे गाजा में, हमने दुश्मन के सैकड़ों सैनिकों को मार डाला, इजरायली वाहनों को नष्ट किया और अपनी रणनीति को परिष्कृत किया.” उन्होंने कहा कि यह संघर्ष ‘आपराधिक दुश्मन’ के खिलाफ है.

बंधकों के संबंध में उबैदा ने कहा, “पहले दिन से ही हमने अपने बंदियों की सुरक्षा सुनिश्चित की है, लेकिन नेतन्याहू की महत्वाकांक्षाओं ने उन्हें एक साल तक वापस लौटने से रोक दिया.”

प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि बंधकों का भाग्य अब इजरायली सरकार के फैसलों पर निर्भर करता है. अगर इजरायली सेना आगे बढ़ती है तो उनकी स्थिति और खराब हो सकती है.

पिछले साल 7 अक्टूबर के हमले के बाद इरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध कि घोषणा कर दी थी और उसके कंट्रोल वाले गाजा पट्टी में मिलिट्री ऑपरेशन शुरू कर दिया.

इजरायल के सैन्य ऑपरेशन ने गाजा में भारी तबाही मचाई है. गाजा स्थित स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि इजरायली हमलों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या बढ़कर 41,909 हो गई है. गाजा में इजरायल का मिलिट्री ऑपरेशन अब भी जारी है.

इस बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ‘काम को पूरा करेगी’ और गाजा से शेष बंधकों को मुक्त कराएगी.

इजरायली पीएम ने कहा, “हम युद्ध तब समाप्त करेंगे जब हम अपने सभी लक्ष्य पूरे कर लेंगे. इनमें – हमास के दुष्ट शासन को उखाड़ फेंकना, सभी बंधकों (मृत और जीवित दोनों) की वापसी, गाजा से इजरायल के लिए किसी भी भविष्य के खतरे को नाकाम करना, दक्षिण और उत्तर में हमारे निवासियों को सुरक्षित रूप से उनके घरों में वापस लाना शामिल है.”

नेतन्याहू ने 7 अक्टूबर हमले की पहली बरसी पर एक विशेष शोक सभा में यह बात कही.

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