वाराणसी, 29 मई . वाराणसी के नमो घाट पर बुधवार को ‘हमार काशी-हमार विकास’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, यह कार्यक्रम सांस्कृतिक धरोहर और वाराणसी के विकास को समर्पित था.
वाराणसी स्थित नमो घाट पर आयोजित इस कार्यक्रम में 1,500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 50 से अधिक वरिष्ठ कलाकार, कला संकाय, कला छात्र, पेशेवर, पहली बार मतदाता, महिलाएं और आमजन शामिल हुए. कार्यक्रम में सभी लोग एक समृद्ध और विकसित भारत की साझा दृष्टिकोण के लिए एकजुट हुए थे.
‘हमार काशी-हमार विकास’ ने रचनात्मकता और प्रेरणा से भरा माहौल तैयार किया. इस कार्यक्रम में नर्तक, संगीतकार, कुम्हार और मूर्तिकार सहित वाराणसी के लोक कलाकारों की एक विविध श्रृंखला भी शामिल थी, जिन्होंने अपनी अनूठी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. उनकी कला ने न केवल विकसित काशी के सार को दर्शाया, बल्कि क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय शिल्प कौशल को उजागर करते हुए ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल को भी बढ़ावा दिया.
इस कार्यक्रम में शामिल होने जम्मू से आए हर्षवर्धन शर्मा ने कहा कि वह पहले प्रोफेसर थे, अब सेवानिवृत हो चुके हैं. देश में जो विकास की धारा बह रही है. उसको कलाकार किस नजरिए से देखता है, उस पर क्या करता है, उस विजन को हम आर्ट के जरिए दिखाना चाहते हैं. इस विजन को यहां के लोकल आर्टिस्टों के जरिए ही हम यहां दिखा रहे हैं. इस कार्यक्रम में बनारस के सीनियर-जूनियर सभी आर्टिस्ट हैं, जो यह दिखा रहे हैं कि वह विकास को किस नजरिए से देखते हैं. वह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि बनारस में क्या विकास हो रहा है और देश-दुनिया में क्या छवि बन रही है. इसको कैनवास पर उतारा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि मैं पिछले 35 साल से बनारस आ रहा हूं. यहां जो काम सरकार ने किए हैं, वह प्रशंसा के लायक हैं. विकास तो बनारस में तेज गति से हो रहा है. बनारस एक आध्यात्मिक नगरी है. इस नगरी में पहले साफ-सफाई का ध्यान तक नहीं था. जिस पर इस सरकार में बेहतरीन काम हुआ है.
पीएम मोदी के काम को लेकर उन्होंने कहा कि वह नवीनता के साथ अपनी परंपराओं को साथ लेकर चलने का विजन रखते हैं. यही उनके विकास की विशेषता है.
उन्होंने कहा कि जिस गति से हम विकास कर रहे हैं, उसमें कोई दो राय नहीं कि हम दुनिया के विकसित देश की श्रेणी में जल्द आ जाएंगे.
उन्होंने कहा कि पहले भी विश्व भारत की तरफ देखता था और आज भी देख रहा है. भारत एक अलग ही दुनिया है. पूरे यूरोप में इतनी आबादी नहीं होगी जितनी अकेले भारत में है. यहां विविधता में एकता साफ दिखता है. ऐसे में दुनिया देख रही है कि हम पूरी दुनिया को दिशा दिखाएंगे.
उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में कलाकारों की समस्याओं को खूब समझा गया और उसका निवारण भी किया गया और पीएम मोदी तीसरी बार भी आएंगे और कलाकारों की समस्याओं को तब और बेहतर तरीके से समझा जाएगा.
अद्वैत गणनायक ने कहा कि इस कार्यक्रम को मैंने खुद तैयार किया है. इसमें सभी तरह के कलाकारों को एक साथ लाया गया है. यहां 7-8 हजार की संख्या में कलाकार आ रहे हैं और यहां कैसे हम अपनी संस्कृति और आर्ट को बढ़ावा दें, ये देखने को मिलेगा. मैं हमेशा कार्यक्रम करने बनारस आता रहा हूं. पिछले 10 साल से मैं देख रहा हूं बनारस को नॉलेज सेंटर के रूप में हम पा रहे हैं. बनारस ही अगले पांच साल में हम जो विश्व गुरु की कल्पना कर रहे हैं, उसका सेंटर यही जगह बनेगा.
–
जीकेटी/