New Delhi, 11 सितंबर . हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस एलसीए एमके-1ए के लिए तीसरा जीई-404 इंजन प्राप्त हो गया है. यह जानकारी Thursday को सामने आई. यही नहीं एचएएल को उम्मीद है सितंबर 2025 के अंत तक ही उन्हें एक और यानी चौथा जेट इंजन भी मिल जाएगा.
गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को यह जेट इंजन सप्लाई कर रही है. एचएएल के अधिकारियों ने Thursday को इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया कि, उन्हें एलसीए एमके-1ए के लिए तीसरा जीई-404 इंजन मिला है.
एचएएल का कहना है कि इंजन आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होने से लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए के उत्पादन और डिलीवरी कार्यक्रम में गति आएगी. इंजन की समय पर उपलब्धता, एचएएल को तय योजना के अनुसार भारतीय वायुसेना को विमान सौंपने में मदद करेगी.
दरअसल, भारतीय वायुसेना ने कुल 83 तेजस एमके-1ए विमानों के निर्माण का ऑर्डर दिया है, जिन्हें आने वाले वर्षों में क्रमिक रूप से डिलीवर किया जाएगा. यह विमान आधुनिक एवियोनिक्स, बेहतर हथियार क्षमता और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस होंगे.
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे इंजन और अन्य महत्त्वपूर्ण प्रणालियों की सप्लाई सुचारु होगी, वैसे-वैसे स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता और तेज होगी. इससे ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को बल मिलेगा.
वहीं एचएएल का कहना है कि सितंबर के अंत तक चौथा इंजन मिलने के बाद, आगामी महीनों में डिलीवरी शेड्यूल को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की जाएगी.
गौरतलब है कि इस लड़ाकू विमान के लिए अमेरिकी कंपनी ने भारत को जेट इंजन की सप्लाई शुरू कर दी है. जुलाई में अमेरिकी कंपनी से भारत को दूसरा जेट इंजन मिला था. सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय विमानन कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) तेजस एलसीए एमके-1ए का निर्माण कर रही है.
जानकारी के मुताबिक एचएएल को इस वित्त वर्ष के अंत तक कुल 12 जीई-404 जेट इंजन मिलने की संभावना हैं. ये सभी इंजन भारतीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए में लगाए जाएंगे. दरअसल भारतीय वायुसेना को नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है. इसके लिए वायुसेना ने स्वदेशी लड़ाकू का विकल्प चुना है. ये स्वदेशी लड़ाकू विमान आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत में ही बनाए जा रहे हैं.
एचएएल का कहना है कि विदेश से इंजन न मिलने के कारण इन विमानों की आपूर्ति में देरी हुई. लेकिन, अब भारत को जेट इंजन की सप्लाई शुरू हो गई है इसको देखते हुए माना जा रहा है कि इन स्वदेशी फाइटर जेट की पहली खेप भारतीय वायुसेना को जल्द ही सौंपी जा सकती है. वहीं रक्षा मंत्रालय भी स्वदेशी एलसीए प्रोजेक्ट के जरिए वायुसेना के शक्ति बढ़ाने का पक्षधर है. यहीं कारण है कि वायुसेना के लिए ज्यादा से ज्यादा एलसीए की स्क्वाड्रन उपलब्ध कराई जाने पर काम किया जा रहा है. फिलहाल, वायुसेना के पास दो एलसीए-तेजस (मार्क-1) की स्क्वाड्रन है.
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जीसीबी/एसके