गनर्स डे विशेष : भारतीय आर्टिलरी की गाथा, जो बनी परंपरा और आधुनिक शक्ति का प्रतीक

New Delhi, 27 सितंबर . भारतीय सेना का इतिहास वीरगाथाओं और गौरव से भरा हुआ है. सेना के जवानों का बलिदान, उनका अदम्य शौर्य और देश के प्रति अटूट समर्पण, राष्ट्र की रक्षा और अखंडता के प्रति उनकी निष्ठा का जीवंत प्रमाण है. इन्हीं परंपराओं और मूल्यों की नींव पर भारतीय सेना की एक अत्यंत महत्वपूर्ण शाखा, आर्टिलरी रेजिमेंट खड़ी है, जिसने दशकों से युद्धभूमि में निर्णायक भूमिका निभाई. समय के साथ यह रेजिमेंट अभूतपूर्व परिवर्तन का साक्षी बनते हुए शक्ति, रणनीति और तकनीक का संगम बन चुकी है.

हर साल 28 सितंबर को ‘गनर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय सेना की रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी की गौरवमयी विरासत का प्रतीक है. यह दिन 1827 में उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है, जब पांच (बॉम्बे) माउंटेन बैटरी को 2.5 इंच की तोपों के साथ गठित किया गया था, जो वर्तमान में 57 फील्ड रेजिमेंट का हिस्सा है.

तब से लेकर आज तक, भारतीय आर्टिलरी ने अपनी ताकत, क्षमता और तकनीकी कौशल को निरंतर बढ़ाया है.

1999 का कारगिल युद्ध, भारतीय आर्टिलरी के योगदान की सबसे शानदार मिसालों में से एक है. कारगिल युद्ध भारतीय सेना के लिए एक ऐसी चुनौती थी, जिसमें विषम परिस्थितियों में साहस, बलिदान और वीरता की मिसाल कायम की गई. इस युद्ध में आर्टिलरी ने अपनी ताकत और सटीकता से दुश्मन की रक्षा पंक्ति को ध्वस्त कर दिया.

विशेष रूप से बोफोर्स तोपों ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन तोपों की सटीक मार ने दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर उनकी लड़ने की क्षमता को कमजोर कर दिया. ऊंचे पहाड़ों और दुर्गम इलाकों में भारतीय सैनिकों ने आर्टिलरी की सहायता से दुश्मन की साजिश को नाकाम किया और तिरंगे का मान ऊंचा रखा. कारगिल युद्ध ने यह साबित कर दिया कि आधुनिक युद्ध में आर्टिलरी की मारक क्षमता विजय की कुंजी है.

कारगिल युद्ध में आर्टिलरी रेजिमेंटों के योगदान के सम्मान में 2023 में द्रास सेक्टर में स्थित चोटी का आधिकारिक नाम ‘गन हिल’ रखा गया. गन हिल एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोटी है, जिसे 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान फिर से हासिल किया था.

आज आर्टिलरी का शस्त्रागार अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइल, मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर, हाई मोबिलिटी गन, मोर्टार, प्रेसिजन गाइडेड म्यूनिशन, रडार, यूएवी और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक उपकरण शामिल हैं, जो दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने और पोस्ट स्ट्राइक डैमेज असेसमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति, विशेष रूप से गैर-संपर्क युद्ध में आर्टिलरी की भूमिका और महत्व कई गुना बढ़ गया है. भारतीय आर्टिलरी ने हमेशा युद्ध के मैदान में निर्णायक भूमिका निभाई है. चाहे वह दुश्मन के खिलाफ युद्ध हो या प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य, आर्टिलरी ने हर मौके पर देश की अखंडता और सम्मान की रक्षा की है.

इसकी गौरवमयी परंपराओं और वीरतापूर्ण उपलब्धियों का इतिहास प्रेरणादायक है. प्री-इंडिपेंडेंस युग में आर्टिलरी को एक विक्टोरिया क्रॉस, एक डिस्टिंग्विश्ड सर्विस ऑर्डर, 15 मिलिट्री क्रॉस और स्वतंत्रता के बाद एक अशोक चक्र, सात महावीर चक्र, नौ कीर्ति चक्र, 101 वीर चक्र, 63 शौर्य चक्र, छह बार टू सेना मेडल और 485 सेना मेडल जैसे सम्मान प्राप्त हुए हैं.

डीसीएच/एएस