तालेपुरा , 8 अगस्त . केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना ने ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के साथ आत्मनिर्भरता को एक नई उड़ान दे दी है. अब महिलाएं अपने आप को इसके जरिए आत्मनिर्भर बनाने की राह पर चल निकली हैं.
गुजरात में बनासकांठा जिले के तालेपुरा गांव की आशाबेन चौधरी अब ‘ड्रोन दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं. केंद्र सरकार की ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ के तहत उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया और अब वह कई जिलों में ड्रोन से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर अच्छी आमदनी कर रही हैं. एक समय घर की रसोई तक सीमित रहने वाली आशाबेन ड्रोन की मदद से खेती में क्रांति ला रही हैं और हजारों किसानों को लाभ पहुंचा रही हैं. आशाबेन मैकेनिकल इंजीनियरिंग तक पढ़ाई कर चुकी हैं और अब पेशेवर ड्रोन पायलट बन चुकी हैं.
ड्रोन दीदी आशाबेन चौधरी ने से बातचीत में बताया कि ‘ड्रोन दीदी योजना’ की जानकारी मिलने के बाद मैंने इंटरव्यू दिया. पहले मैं घर पर रहकर काम करती थी, लेकिन इस योजना से मैं लखपति बन गई हूं. मेरे लिए यह आय का साधन है. इस योजना के तहत करीब 17 लाख का किट मिला है, जिसमें 10 लाख का ड्रोन, 5 लाख की गाड़ी और जनरेटर है. सरकार की तरफ से यह फ्री में दिया गया. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हुए अन्य महिलाओं को इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया.
उन्होंने बताया कि उनकी सालाना आय तीन लाख से ज्यादा है. आशाबेन ‘आशापुरी सखी मंडल’ की प्रमुख भी हैं और अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं. महिलाओं से अपील करते हुए उन्होंने सखी मंडल में जुड़ने के लिए कहा.
उन्होंने पुणे में 15 दिनों का ड्रोन ऑपरेशन प्रशिक्षण लिया, जिसमें डीजीसीए नियमों की जानकारी के साथ-साथ प्रैक्टिकल सत्र भी शामिल था. प्रशिक्षण के बाद उन्होंने बनासकांठा के वाव, थराद, डीसा, वडगाम और मेहसाणा जिलों में ड्रोन की मदद से कीटनाशकों का छिड़काव शुरू किया.
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एएसएच/जीकेटी