नई दिल्ली, 1 अप्रैल . भारत का वस्तु एवं सेवा कर संग्रह इस साल मार्च में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 9.9 प्रतिशत बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो आर्थिक गतिविधियों के उच्च स्तर और बेहतर अनुपालन को दर्शाता है.
क्रमिक रूप से, जीएसटी संग्रह इस साल फरवरी में दर्ज 1.84 लाख करोड़ रुपए के राजस्व से 6.8 प्रतिशत अधिक रहा.
मार्च में सकल जीएसटी राजस्व में केंद्रीय जीएसटी से 38,100 करोड़ रुपए, राज्य जीएसटी से 49,900 करोड़ रुपए, इंटीग्रेटेड जीएसटी से 95,900 करोड़ रुपए और कंपनसेशन सेस से 12,300 करोड़ रुपए शामिल थे.
इसकी तुलना में फरवरी में केंद्रीय जीएसटी संग्रह 35,204 करोड़ रुपए, राज्य जीएसटी 43,704 करोड़ रुपए, इंटीग्रेटेड जीएसटी 90,870 करोड़ रुपए और कंपनसेशन सेस 13,868 करोड़ रुपए रहा.
मार्च में जीएसटी संग्रह में योगदान देने वाले शीर्ष पांच राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल थे.
महाराष्ट्र ने मार्च में 31,534 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जो पिछले साल मार्च की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है, जबकि कर्नाटक ने 13,497 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जो सालाना आधार पर 4 प्रतिशत की वृद्धि है.
गुजरात ने 12,095 करोड़ रुपए का योगदान दिया, जो मार्च 2024 से 6 प्रतिशत अधिक है.
तमिलनाडु ने 11,017 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जो 7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जबकि उत्तर प्रदेश ने 9,956 करोड़ रुपए का संग्रह किया, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत की वृद्धि है.
दिल्ली छठा सबसे बड़ा भुगतानकर्ता रहा, जिसने 6,139 करोड़ रुपए का योगदान दिया, जो मार्च 2024 से 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
बिहार ने सबसे कम जीएसटी भुगतान दर्ज किया, जिसमें मार्च 2025 में बकाया राशि केवल 2.6 करोड़ रुपए थी. लक्षद्वीप और आंध्र प्रदेश ने क्रमशः 3 करोड़ और 4.033 करोड़ रुपए के साथ थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया.
हालांकि, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने अपने जीएसटी भुगतान में 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो 51 करोड़ रुपए थी.
पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जनवरी में 12.5 प्रतिशत की दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज करने के बाद फरवरी के दौरान माल और सेवा कर संग्रह 9.1 प्रतिशत बढ़कर 1,83,646 करोड़ रुपए हो गया.
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एसकेटी/एबीएम