जीएसटी 2.0 सुधार, बढ़ती ग्रामीण आय और घटती महंगाई का संयोजन भारत की कंजप्शन स्टोरी में लाएगा एक बड़ा पुनरुत्थान : रिपोर्ट

Mumbai , 2 सितंबर . आगामी GST 2.0 सुधार, बढ़ती ग्रामीण आय और घटती महंगाई का संयोजन India की उपभोग की कहानी में एक बड़े पुनरुत्थान का आधार तैयार कर सकता है. यह जानकारी Tuesday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.

स्मॉलकेस के निवेश प्रबंधक राइट रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि India का उपभोग चक्र, जो पिछले कुछ वर्षों से सुस्त रहा है, संभवतः अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है और अब ऊपर की ओर बढ़ रहा है.

अगर GST 2.0 को त्योहारी सीजन से ठीक पहले अक्टूबर में अंतिम रूप दिया जाता है, तो इससे उपभोक्ता कीमतें कम हो सकती हैं, मांग बढ़ सकती है और घरेलू खर्च में वृद्धि हो सकती है.

अपेक्षित बदलावों में, जिन वस्तुओं पर वर्तमान में 12 प्रतिशत कर लगता है, उन्हें 5 प्रतिशत के स्लैब में लाया जा सकता है. इसमें प्रोसेस्ड फूड, किफायती जूते और कुछ स्वास्थ्य उत्पाद शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं और उपभोक्ता बिना ब्रांड वाले उत्पादों से ब्रांडेड उत्पादों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं.

बिग-टिकट आइटम में एयर कंडीशनर और बड़े टेलीविजन जैसे उत्पादों पर GST 28 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो सकता है, जिससे कीमतों में लगभग 8 प्रतिशत की कमी आएगी और टियर-2 तथा टियर-3 शहरों में इसकी पहुंच व्यापक होगी.

रिपोर्ट के अनुसार, सीमेंट पर GST में कटौती खुदरा घरेलू परियोजनाओं और बड़ी निर्माण गतिविधियों, दोनों की लागत कम करेगी, जिस पर वर्तमान में 28 प्रतिशत कर लगता है.

राइट रिसर्च की संस्थापक और स्मॉलकेस की निवेश प्रबंधक सोनम श्रीवास्तव ने कहा, “GST 2.0 हाल के वर्षों में सबसे अधिक उपभोग-समर्थक नीतियों में से एक है. रोजमर्रा की श्रेणियों और बिग-टिकट ड्यूरेबल, दोनों में कीमतों में कमी कर, यह सुधार मांग में तेजी ला सकता है, ठीक वैसे ही जैसे ग्रामीण आय और मुद्रास्फीति के रुझान अनुकूल हो रहे हैं.”

सेक्टोरल आउटलुक भी आशाजनक है. एफएमसीजी कंपनियों के वित्त वर्ष 26 में लगभग 10 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि देखने की उम्मीद है, जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल के क्षेत्र में 21 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सुधारों को कितनी तेजी से लागू किया जाता है.

सीमेंट कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है, उनके ईबीआईटीडीए में 40 प्रतिशत से अधिक और मुनाफ़े में 80 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है.

एमएसएमई द्वारा डिजिटल समाधानों को अपनाए जाने के कारण इंटरनेट प्लेटफॉर्म के राजस्व में 35-40 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के कच्चे तेल की गिरती कीमतों के कारण नकदी प्रवाह में सुधार की उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुनरुद्धार के शुरुआती संकेत पहले ही दिखाई देने लगे हैं. प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों, क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट और पेंट कंपनियों ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में बिक्री में सुधार दर्ज किया है, जबकि छोटे शहरों के खुदरा विक्रेताओं की बिक्री में तेजी देखी जा रही है.

एसकेटी/