जौनपुर, 8 अगस्त . केंद्र सरकार की तरफ से कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) इनमें से एक है. उत्तर प्रदेश के जौनपुर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आकर्षक राखियां बनाकर सशक्त, आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सरकार की मदद से स्वदेशी अपनाने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आगे आई हैं. इस रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई विदेशी राखियों की बजाए ग्रामीण क्षेत्रों की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई रंग-बिरंगी राखियों से सजेगी.
आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को मजबूती देने के लिए एनआरएलएम ने समूह की महिलाओं को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया है. इन राखियों को बाजार में उपलब्ध कराने की कवायद भी शुरू कर दी गई है.
उपायुक्त स्व-रोजगार जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि रक्षाबंधन त्योहार और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के निर्देशन में स्वदेशी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से तिरंगा थीम पर राखियां बनाई जा रही हैं. समूह की महिलाओं द्वारा बड़े पैमाने पर स्वदेशी राखियों का उत्पादन हो रहा है. 10 रुपये से लेकर 30 रुपये तक की अलग-अलग कीमत की आकर्षक राखियां बनाई जा रही हैं. बाजार में इन राखियों की बहुत मांग है. बड़ी संख्या में महिलाओं को राखी बनाने के लिए पहले से ही प्रशिक्षित किया गया था.
उन्होंने कहा कि इच्छुक महिलाओं को एनआरएलएम की ओर से बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा. उनका आह्वान है कि सभी लोग देशी राखियां ही खरीदें. स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित एक हजार स्वदेशी राखियों को देश के सैनिकों को भेजी गई है.
स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्य सरोज सिंह ने बताया कि स्वरोजगार के लिए हम सभी महिलाओं ने समूह बनाया है, जिसमें 120 महिलाएं शामिल है. रक्षाबंधन के त्योहार पर हम सभी राखी बनाने का कार्य कर रहे हैं, इसे बाजार में बेचा जा रहा है और जो भी रुपये इससे मिलेंगे वह हम सभी लोग बांट लेंगे. इसके साथ ही डेढ़ हजार राखियां बॉर्डर पर अपने सैनिक भाईयों के लिए भी भेजी गई है.
रक्षाबंधन त्योहार पर बाजार में चीन की बनी राखियों की भरमार रहती है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी अपनाने का आह्वान किया है. स्वदेश में निर्मित राखियों की खरीदारी से जहां मेक इन इंडिया को बल मिलेगा, वहीं जरूरतमंद महिलाओं की आर्थिक जरूरतें भी पूरी होंगी.
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एएसएच/जीकेटी