ग्रेटर नोएडा : संयुक्त किसान मोर्चा की वार्ता सकारात्मक रही, धरना स्थगित (लीड-1)

ग्रेटर नोएडा, 20 मार्च . संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेतृत्व में जुटे 14 किसान संगठनों की गुरुवार को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) कार्यालय में जिलाधिकारी गौतम बुद्ध नगर की अध्यक्षता में हुई वार्ता सकारात्मक रही. इस बैठक में यमुना प्राधिकरण के सीईओ, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ उपस्थित रहे.

बैठक के दौरान किसानों की प्रमुख मांगों पर सहमति बनी, जिसमें पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10 प्रतिशत विकसित प्लॉट एवं बढ़ा हुआ मुआवजा तथा 2013 के नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को बाजार दर का चार गुना मुआवजा और 20 प्रतिशत विकसित प्लॉट दिए जाने की मांग शामिल थी.

सभी भूमिधर और भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास संबंधी लाभ देने पर भी चर्चा हुई. बैठक में जिन प्रमुख बिंदुओं पर सहमति बनी है, उनमें सीधे जमीन खरीदने वाले किसानों को ‘परियोजना प्रभावित परिवार’ का दर्जा, नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को मिलने वाले लाभ सीधे बैनामे से जमीन खरीदने वाले किसानों को भी दिए जाएंगे. इसमें समान मुआवजा, रोजगार या पुनर्वास भत्ता आदि शामिल होगा.

जिलाधिकारी ने एक सप्ताह के भीतर जिले में कृषि, आवासीय और व्यावसायिक भूमि की सर्किल दरें बढ़ाने का आश्वासन दिया. इसके अलावा तीनों प्राधिकरणों ने लंबित आबादी लीज बैक मामलों के शीघ्र निस्तारण का भरोसा दिया. इसके बाद अब शासन स्तर की वार्ताएं होंगी, जिसका समय निर्धारित कर दिया गया है.

23 मार्च को जिलाधिकारी, 24 मार्च को यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण, 25 मार्च को नोएडा प्राधिकरण और 26 मार्च को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के साथ किसान संगठनों की वार्ता होगी. 28 मार्च को औद्योगिक विकास अनुभाग के मुख्य सचिव से वार्ता तय है. वहीं, 10 से 20 अप्रैल के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से वार्ता होगी.

संयुक्त किसान मोर्चा की मांग पर शासन स्तर की वार्ताओं में स्थानीय विधायकों, लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को भी आमंत्रित किया जाएगा. इन वार्ताओं का समय तय होने के बाद किसानों ने सर्वसम्मति से अपने धरने को स्थगित करने की घोषणा की. इस सकारात्मक वार्ता के बाद किसानों में न्याय की उम्मीद जगी है.

एसकेएम नेताओं ने उम्मीद जताई कि शासन स्तर पर होने वाली आगामी वार्ताओं से किसानों की लंबित मांगों का जल्द समाधान होगा.

पीकेटी/एबीएम