तमिलनाडु: तिरुवरुर त्यागराज मंदिर में भव्य रथ उत्सव का आयोजन

तिरुवरुर, 7 अप्रैल . विश्व प्रसिद्ध तिरुवरुर त्यागराज मंदिर में इन दिनों भव्य रथ उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस उत्सव के तहत रविवार सुबह भक्तों ने भगवान विनयगर और भगवान सुब्रमण्यर के रथों को बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ खींचा.

यह आयोजन मंदिर के वार्षिक उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

सोमवार को होने वाले मुख्य आकर्षण, आजिथ थेर (मुख्य रथ) उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं. सुबह के समय भक्तों ने विनयगर और सुब्रमण्यर के रथों को खींचकर उत्सव की शुरुआत की. इस दौरान मंदिर परिसर भक्ति संगीत, मंत्रोच्चार और श्रद्धालुओं की भीड़ से गूंज उठा. बड़ी संख्या में लोग इस पवित्र अनुष्ठान में शामिल हुए, जिसने पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल बना दिया.

आज सुबह करीब 9 बजे भगवान त्यागराज के विशाल रथ को खींचने की परंपरा निभाई जाएगी. यह रथ अपनी भव्यता और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. शाम को उत्सव अपने चरम पर पहुंचेगा, जब चार मुख्य सड़कों का चक्कर लगाने के बाद पांच रथ- भगवान त्यागराज, विनयगर रथ, सुब्रमण्यर रथ, परशक्ति अम्मन रथ, चंडिकेश्वर रथ के साथ अपने आधार पर वापस लौटेंगे. यह दृश्य न केवल भक्तों के लिए अद्भुत होता है, बल्कि तिरुवरुर के इस उत्सव को अनूठा भी बनाता है.

स्थानीय लोगों और मंदिर प्रशासन के अनुसार, इस उत्सव में शामिल होने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. मंदिर परिसर को फूलों और रंग-बिरंगी सजावट से आकर्षक बनाया गया है.

सुरक्षा और व्यवस्था के लिए प्रशासन ने भी व्यापक इंतजाम किए हैं. यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि तमिलनाडु की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी प्रदर्शित करता है.

भक्तों का मानना है कि रथ खींचने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें आध्यात्मिक शांति मिलती है.

यह उत्सव न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि तमिलनाडु की सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर करता है. मंत्रोच्चार और पारंपरिक संगीत के बीच रथों का यह भव्य प्रदर्शन तिरुवरुर के इतिहास और परंपरा को जीवंत करता है.

एकेएस/केआर