महाकुंभ : श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़े की पेशवाई की भव्य तैयारी, 1400 साल हुई थी स्थापना

महाकुंभ नगर, 1 जनवरी . आस्था के संगम तीर्थराज प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. इसके लिए शासन-प्रशासन के अलावा भारत के विभिन्न अखाड़ों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. बारी-बारी से अखाड़े प्रयागराज में प्रवेश कर रहे हैं. छावनी प्रवेश के सिलसिले के बीच बुधवार को भव्य रूप से श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़े की पेशवाई निकालने की तैयारी हुई.

ज्ञात हो कि अखाड़े के भूमि पूजन, ध्वज स्थापना और छावनी प्रवेश के साथ ही उनके लिए कुंभ की भी औपचारिक शुरुआत हो जाती है. अखाड़े के साधु-संत अपना डेरा डाल लेते हैं. श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़े की पेशवाई के दौरान अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मा सरस्वती महाराज की अगुवाई में 500 से ज्यादा साधु-संत घोड़े व रथ पर सवार होकर महाकुंभ में बने अपने शिविर में प्रवेश करेंगे.

इस अवसर पर अटल पीठाधीश्वर राजगुरु आचार्य महामंडलेश्वर श्री.श्री. 1008, स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने से बातचीत की. उन्होंने बताया, “आज अटल अखाड़े की दिव्य-भव्य पेशवाई है. यह सबसे पहला अटल अखाड़ा है जिसकी स्थापना हुई थी. 722 ईस्वी में आज से 1400 वर्ष पहले इसकी स्थापना हुई थी. आज बड़े आध्यात्मिक, नैतिक, भव्य-दिव्य तरीके से छावनी प्रवेश हो रहा है. सभी देशवासियों को और पूरे विश्व कप को इस अवसर पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं.”

वहीं, अटल अखाड़ा के सचिव प्रेम गिरि ने से बताया, “आज श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़े की पेशवाई है. अखाड़ा छावनी प्रवेश कर रहा है. आज से हम लोगों के कुंभ से जुड़े कार्यकाज शुरू हो जाएंगे. दिव्य और भव्य तरीके से पेशवाई निकाली जाएगी जिसमें घोड़े, रथ आदि सब होंगे.”

इस दौरान साधु-संत और नागा संन्यासी घोड़े और रथ पर सवार होकर निकले. तो वही सड़क किनारे खड़े लोगों ने संतों का फूल-माला पहनाकर स्वागत किया. तो वही पूरा क्षेत्र हर-हर महादेव और हर-हर गंगे के उद्घोष से गूंज उठा.

उल्लेखनीय है कि 2025 महाकुंभ को लेकर सरकार की ओर से खास तैयारियां चल रही हैं. पहली बार कुंभ आयोजन में एआई चैटबॉट का प्रयोग होगा. जिससे 11 भारतीय भाषाओं में कुंभ से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल की जा सकेगी. इसके लिए साधु-संतों ने पीएम मोदी और सीएम योगी का धन्यवाद अदा किया है.

महाकुंभ में जल, थल से लेकर आसमान तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है. नदी में नाव तो आसमान में ड्रोन से पहरेदारी होगी. तो वहीं मेले में घुड़सवार सवार पुलिस लगातार निगरानी करेगी. यानी सुरक्षा व्यवस्था जितनी हाइटेक की जा सकती है, उतना ही परंपरागत तरीके से भी व्यवस्था को संभाला जा रहा है.

एएस/